भास्कर संवाददाता | भिंड शैक्षणिक सत्र चालू होने को मात्र 14 दिन ही शेष हैं, लेकिन स्थिति यह है कि जिलेभर में 2 हजार 636 सरकारी स्कूल संचालित हैं। लेकिन स्कूलों की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई है। स्कूलों में सालों पुरानी शिक्षक समस्या, भवनों का अभाव और जर्जर स्कूल भवनों की समस्याएं दूर नहीं हो रही है।
शासकीय स्कूलों में अन्य कई बुनियादी सुविधाएं जस की तस बनी हुई है। सबसे अहम बात यह है कि इस बारे में संबंधित विभाग के आलाधिकारियाें को जानकारी होने के बाद भी वे शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले व्यवस्थाओं में सुधार करने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
नए शिक्षा सत्र के साथ 16 जून को प्रवेश उत्सव के साथ स्कूल में पढ़ाई शुरू हो जाएगी। स्कूलों में छात्र-छात्राओं के चेहरे बदल जाएंगे, लेकिन जिले के कई शासकीय स्कूल सालों बीतने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। उन स्कूलों में शिक्षा का स्तर बदल गया, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी आज तक दूर नहीं हो पाई है। हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों में शिक्षक समस्याएं दूर नहीं हुई। कई स्कूल खेल मैदान के लिए तरस रहे हैं, तो कई भवनविहीन है। हाईस्कूल, मिडिल में और हायर सेकंडरी स्कूल हाईस्कूलों के अतिरिक्त कक्ष में संचालित हो रहे हैं। जिले में प्राइमरी स्कूल 1751, मिडिल स्कूल 740, हाईस्कूल 89, हायर सेकंडरी स्कूल 56 संचालित हो रहे हैं। शासन द्वारा इन स्कूलों में छात्रों की सुविधा के लिए आधुनिक सुविधाओं युक्त शौचालय का निर्माण कराया गया है। लेकिन इन टॉयलेट पर पानी की सुविधा नहीं होने से छात्रों को खुले में प्रसाधन के लिए जाना पड़ता है। वहीं अधिकांश स्कूलों में बने शौचालय पर स्टॉफ द्वारा ताला लगा दिया जाता है।
16 जून को स्कूल खुलने के साथ छात्र पढ़ाई करने के आने लगें। लेकिन जिले के किसी भी स्कूल में इस भीषण में छात्रों को ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार पिछले साल स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के साथ ही ठंडे पानी के लिए मटके खरीदे गए थे। लेकिन ऐसा इस बार होता नहीं दिख रहा है।
सालों से बनी हैं समस्याएं
प्रदेश शासन के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा जिलेभर के सभी सरकारी स्कूल भावनों पर रंग रोगन तो करा दिया गया है। लेकिन जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति में कोई सुधार नहीं किया गया है। यह समस्या कई साल से बनी हुई है। वहीं 14 दिन बाद स्कूलों के गेट खुल जाएंगे। छात्र-छात्राओं के नए क्लास में चले जाने के बाद भी वहीं पुरानी समस्याएं उनके लिए चुनौती बनी रहेगी। शिक्षक व भवन की मांग करने छात्र-छात्राएं कलेक्टोरेट व अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर काटेंगे। शिक्षक व भवन की कमी बड़ी समस्या है। बावजूद शासन स्कूलों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। स्कूलों की समस्याओं को लेकर ग्रामीण, पालक, छात्र-छात्राएं परेशान हैं। इसका खामियाजा परीक्षा के समय छात्रों को भुगतना पड़ता है।
शिक्षकों की कमी
जिले के हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी काफी लंबे समय से चली आ रही है। इस कारण से पिछले साल 10वीं और 12वीं के छात्रों का कोर्स बोर्ड परीक्षा आने तक पूरा नहीं हो सका था। वहीं शासन ने साल 2015 में कहा था कि नए सत्र में शिक्षकों की कमी को पूरा कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा इस बार होता नहीं दिख रहा है। इसके साथ ही संविदा शिक्षक संविलियन की मांग को लेकर आए दिन हड़ताल और आंदोलन कर रहे हैं। जिससे स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं पहुंचते हैं। जिससे उनकी पढ़ाई काफी प्रभावित होती है।
खामियां दूर करने प्रयास जारी
स्कूलों में बनी खामियों को जल्द ही दूर करने का प्रयास किया जाएगा। शौचालय व पेयजल की समस्या 16 जून तक दूर हो जाएगी। वहीं जिन स्कूलों के भवन जर्जर हैं। उनकी मरम्मत जल्द कराई जाएगी। शिक्षकों की कमी को पूरा करना शासन का काम है। संजीव शर्मा, डीपीसी, जिला शिक्षा केंद्र, भिंड
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शासकीय स्कूलों में अन्य कई बुनियादी सुविधाएं जस की तस बनी हुई है। सबसे अहम बात यह है कि इस बारे में संबंधित विभाग के आलाधिकारियाें को जानकारी होने के बाद भी वे शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले व्यवस्थाओं में सुधार करने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
नए शिक्षा सत्र के साथ 16 जून को प्रवेश उत्सव के साथ स्कूल में पढ़ाई शुरू हो जाएगी। स्कूलों में छात्र-छात्राओं के चेहरे बदल जाएंगे, लेकिन जिले के कई शासकीय स्कूल सालों बीतने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। उन स्कूलों में शिक्षा का स्तर बदल गया, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी आज तक दूर नहीं हो पाई है। हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों में शिक्षक समस्याएं दूर नहीं हुई। कई स्कूल खेल मैदान के लिए तरस रहे हैं, तो कई भवनविहीन है। हाईस्कूल, मिडिल में और हायर सेकंडरी स्कूल हाईस्कूलों के अतिरिक्त कक्ष में संचालित हो रहे हैं। जिले में प्राइमरी स्कूल 1751, मिडिल स्कूल 740, हाईस्कूल 89, हायर सेकंडरी स्कूल 56 संचालित हो रहे हैं। शासन द्वारा इन स्कूलों में छात्रों की सुविधा के लिए आधुनिक सुविधाओं युक्त शौचालय का निर्माण कराया गया है। लेकिन इन टॉयलेट पर पानी की सुविधा नहीं होने से छात्रों को खुले में प्रसाधन के लिए जाना पड़ता है। वहीं अधिकांश स्कूलों में बने शौचालय पर स्टॉफ द्वारा ताला लगा दिया जाता है।
16 जून को स्कूल खुलने के साथ छात्र पढ़ाई करने के आने लगें। लेकिन जिले के किसी भी स्कूल में इस भीषण में छात्रों को ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार पिछले साल स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के साथ ही ठंडे पानी के लिए मटके खरीदे गए थे। लेकिन ऐसा इस बार होता नहीं दिख रहा है।
सालों से बनी हैं समस्याएं
प्रदेश शासन के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा जिलेभर के सभी सरकारी स्कूल भावनों पर रंग रोगन तो करा दिया गया है। लेकिन जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति में कोई सुधार नहीं किया गया है। यह समस्या कई साल से बनी हुई है। वहीं 14 दिन बाद स्कूलों के गेट खुल जाएंगे। छात्र-छात्राओं के नए क्लास में चले जाने के बाद भी वहीं पुरानी समस्याएं उनके लिए चुनौती बनी रहेगी। शिक्षक व भवन की मांग करने छात्र-छात्राएं कलेक्टोरेट व अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर काटेंगे। शिक्षक व भवन की कमी बड़ी समस्या है। बावजूद शासन स्कूलों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। स्कूलों की समस्याओं को लेकर ग्रामीण, पालक, छात्र-छात्राएं परेशान हैं। इसका खामियाजा परीक्षा के समय छात्रों को भुगतना पड़ता है।
शिक्षकों की कमी
जिले के हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी काफी लंबे समय से चली आ रही है। इस कारण से पिछले साल 10वीं और 12वीं के छात्रों का कोर्स बोर्ड परीक्षा आने तक पूरा नहीं हो सका था। वहीं शासन ने साल 2015 में कहा था कि नए सत्र में शिक्षकों की कमी को पूरा कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा इस बार होता नहीं दिख रहा है। इसके साथ ही संविदा शिक्षक संविलियन की मांग को लेकर आए दिन हड़ताल और आंदोलन कर रहे हैं। जिससे स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं पहुंचते हैं। जिससे उनकी पढ़ाई काफी प्रभावित होती है।
खामियां दूर करने प्रयास जारी
स्कूलों में बनी खामियों को जल्द ही दूर करने का प्रयास किया जाएगा। शौचालय व पेयजल की समस्या 16 जून तक दूर हो जाएगी। वहीं जिन स्कूलों के भवन जर्जर हैं। उनकी मरम्मत जल्द कराई जाएगी। शिक्षकों की कमी को पूरा करना शासन का काम है। संजीव शर्मा, डीपीसी, जिला शिक्षा केंद्र, भिंड
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