भास्कर संवाददाता | श्योपुर मप्र शिक्षक संघ आयुक्त कोष एवं लेखा द्वारा प्राचार्यों से आहरण-संवितरण के अधिकार वापस लेने और खंड शिक्षा अधिकारी को साैंपने के विरोध में उठ खड़ा हुआ है। मप्र शिक्षक कांग्रेस पहले ही डीडीओ पावर के केंद्रीकरण की इस कवायद के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा चुकी है।
अब मप्र शिक्षक संघ ने इस बदलाव के विरोध का निर्णय लिया है।
बताया गया है कि संघ की जिला इकाई द्वारा प्रदेशव्यापी अभियान के तहत 13 जून को मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा जाएगा। शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों सहित शिक्षकों पर जबरन थोपे जा रहे एम शिक्षा मित्र एप को भी भेदभावपूर्ण और असमानतापूर्ण कार्रवाई करार दिया है। संघ ने कहा है कि इस एप के उपयोग की पाबंदी का विरोध करते हुए शिक्षकों के सम्मान से होने वाले खिलवाड़ का भी विरोध किया जाएगा। संघ का कहना है कि प्राचार्यों को आहरण-संवितरण कार्य से मुक्त रखना शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक हो सकता था लेकिन महज 313 बीईओ के भरोसे प्रदेश भर में कार्यरत लाखों शिक्षकों के आहरण-संवितरण का कार्य छोड़ देना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। इस तरह का प्रयास अन्याय व अराजकता को बढ़ाने वाला ही होगा।
अपंगता की स्थिति में हैं खंड शिक्षा कार्यालय
मप्र शिक्षक संघ का कहना है कि विभाग ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी के रूप में सहायक संचालक स्तर के अधिकारी की पदस्थापना तक नहीं की है। इसके अलावा उप विकासखंडों की स्थापना व एईओ की पदस्थी का कार्य भी आज तक नहीं हो पाया है। संघ ने मांग उठाई है कि जब तक शिक्षा विभाग अपनी नवीन संरचना राज्य शिक्षा सेवा व अधीनस्थ सेवा के तहत पूर्ण नहीं कर लेता तब तक संकुल प्राचार्यों के डीडीओ पावर यथावत रखे जाने चाहिए।
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अपंगता की स्थिति में हैं खंड शिक्षा कार्यालय
मप्र शिक्षक संघ का कहना है कि विभाग ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी के रूप में सहायक संचालक स्तर के अधिकारी की पदस्थापना तक नहीं की है। इसके अलावा उप विकासखंडों की स्थापना व एईओ की पदस्थी का कार्य भी आज तक नहीं हो पाया है। संघ ने मांग उठाई है कि जब तक शिक्षा विभाग अपनी नवीन संरचना राज्य शिक्षा सेवा व अधीनस्थ सेवा के तहत पूर्ण नहीं कर लेता तब तक संकुल प्राचार्यों के डीडीओ पावर यथावत रखे जाने चाहिए।
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