भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग की
तर्ज पर जनजातीय कार्य विभाग ने भी ट्रायवल के अध्यापकों के लिये
म.प्र.जनजातीय एवं अनुसूचित जाति शिक्षण संवर्ग नियम 2018 का गजट में
प्रकाशन कर दिया है। जिसके अनुसार ट्रायवल विभाग के स्कूलों में कार्यरत
सहायक अध्यापक, अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक क्रमशः प्राथमिक शिक्षक,माध्यमिक
शिक्षक और उच्च माध्यमिक शिक्षक के पदों पर 1 जुलाई 2018 के दिनांक से
नियुक्त किये जायेंगें। जारी नियम से वरिष्ठ अध्यापकों को गहरा धक्का लगा
है। राज्य अध्यापक संघ के मंडला जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर द्वारा
जारी विज्ञप्ति के अनुसार ट्रायवल विभाग के वरिष्ठ अध्यापकों की पदोन्नति
के लिये म.प्र. जनजातीय एवं अनुसूचित जाति भर्ती नियम में हाई स्कूल
प्राचार्य का पद सृजित नहीं किया गया है।
जबकि राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अध्यापकों
की पदोन्नति के लिये हाई स्कूल प्राचार्य के पद सृजित किये गये हैं। यहां
भेदभाव साफ उजागर हो रहा है क्योंकि अध्यापक स्थानीय निकाय के कर्मचारी हैं
स्कूल शिक्षा और ट्रायवल के नहीं। इसलिए सभी के साथ समान व्यवहार किया
जाना चाहिये। ट्रायवल के स्कूलों मेें कार्यरत अध्यापक इस बात को लेकर भी
चिंतित हैं कि ट्रायवल के गजट में 7वां वेतनमान दिये जाने का उल्लेख नहीं
है जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के गजट में जुलाई 2018 से 7वंा वेतनमान दिये
जाने का स्पष्ट उल्लेख है।
इस गजट ने अध्यापकों की मुसीबत और बढ़ा दी है जबकि अध्यापक क्रमोन्नति की
गणना के लिये सेवाअवधि और संविलियन के स्थान पर नियुक्ति जैसें शब्दों को
लेकर पहले से ही चिंतित हैं। अध्यापकों की चिंता इसलिये और बढ़ जाती है कि
पूर्व की सेवा का लाभ कितना मिलेगा नियम में उल्लेखित किये बिना इस सेवा
में आने का वचनपत्र भरवाया जा रहा है जो कि नियम और सिद्वांत के विरूद्व
है। राज्य अध्यापक संघ ने आरोप लगाया है कि विभाग में नियुक्ति की इस
प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से बेहद जटिल बनाया गया है जिसको पूरा होना में
एक साल का समय लग सकता है।