सागर. संभाग में उच्च
शिक्षा के बेहद बुरे हाल हैं। न नियमित स्टाफ है और न ही पर्याप्त संसाधन।
नतीजन सरकारी कॉलेजों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है।
जिम्मेदारों की संजीदगी का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि संभाग
के ४९ सरकारी कॉलेजों में ९८० में से ६१८ पद खाली पड़े हैं। खानापूर्ति
करने के लिए हर साल इन पदों पर अतिथि विद्वानों की नियुक्ति कर दी जाती है
और वे ही बच्चों को पढ़ाते हैं। गौर करने वाली बात तो यह है कि रिक्त पदों
में केवल प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक ही नहीं बल्कि प्राचार्य से लेकर
लाइब्रेरियन, क्रीड़ा अधिकारी, ग्रंथपाल, रजिस्ट्रार शामिल हैं। अब
शैक्षणिक सत्र समाप्ति की ओर है। एेसे में एमपीपीएससी ने कॉलेजों में सहायक
प्राध्यापकों की भर्ती के लिए कोई परीक्षा आयोजित नहीं की है। इसलिए नए
सत्र में भी अतिथि विद्वानों के सहारे ही विद्यार्थियों को पढ़ाई करनी
होगी। हैरानी की बात तो यह है कि ७ कॉलेजों में ही नियमित प्राचार्य तैनात
हैं, शेष पदों पर प्रभारी प्राचार्य काम कर रहे हैं।उच्च शिक्षा आयुक्त नीरज मण्डलोई ने पिछले दिनों आदेश जारी कर नए सत्र में होने वाली ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के लिए सभी कॉलेजों से स्टाफ, संसाधन आदि की जानकारी देने पर ही ऑनलाइन प्रक्रिया में शामिल करने की बात कही है। कई कॉलेज तो एेसे हैं, जिनकी बिल्डिंग तक स्वयं की नहीं है।
नहीं की जा रही शिक्षकों की भर्ती
कॉलेजों में शिक्षा अकादमिक स्टाफ कई सालों से नहीं हैं, क्योंकि वर्षो से उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती ही नहीं हुई है। एेसे में यहां पर प्राचार्य व अन्य अधिकारियों के काम प्रभार में व शैक्षणिक कार्य अतिथि शिक्षकों के भरोसे संचालित किया जा रहा है। पिछले सत्र से शासन द्वारा स्नातक के सामान्य कोर्स में सेमेस्टर के अलावा एनुअल सिस्टम भी संचालित किया जाने लगा है, इसके कारण शैक्षणिक कार्य ज्यादा प्रभावित होता है।
कॉलेजों में शिक्षा अकादमिक स्टाफ कई सालों से नहीं हैं, क्योंकि वर्षो से उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती ही नहीं हुई है। एेसे में यहां पर प्राचार्य व अन्य अधिकारियों के काम प्रभार में व शैक्षणिक कार्य अतिथि शिक्षकों के भरोसे संचालित किया जा रहा है। पिछले सत्र से शासन द्वारा स्नातक के सामान्य कोर्स में सेमेस्टर के अलावा एनुअल सिस्टम भी संचालित किया जाने लगा है, इसके कारण शैक्षणिक कार्य ज्यादा प्रभावित होता है।
संभाग के हाल
संभाग के सागर जिले में २६० प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक में से केवल १२७ ही कार्यरत हैं। यही स्थिति दूसरे जिलों की है। दमोह में १५२ में से ५७, टीकमगढ़ में १२८ में से ५५, छतरपुर में १९६ में से ८५ और पन्ना में १०५ में से ३२ प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक कार्यरत हैं।
& संभाग के कॉलेजों में नियमित स्टाफ की कमी है, जिसकी जानकारी उच्च शिक्षा विभाग को भेज दी है। शैक्षणिक कार्य के लिए गेस्ट टीचर को लगाया जाता है। -डॉ. आरके गोस्वामी, ओएसडी, उच्च शिक्षा विभाग
संभाग के सागर जिले में २६० प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक में से केवल १२७ ही कार्यरत हैं। यही स्थिति दूसरे जिलों की है। दमोह में १५२ में से ५७, टीकमगढ़ में १२८ में से ५५, छतरपुर में १९६ में से ८५ और पन्ना में १०५ में से ३२ प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक कार्यरत हैं।
& संभाग के कॉलेजों में नियमित स्टाफ की कमी है, जिसकी जानकारी उच्च शिक्षा विभाग को भेज दी है। शैक्षणिक कार्य के लिए गेस्ट टीचर को लगाया जाता है। -डॉ. आरके गोस्वामी, ओएसडी, उच्च शिक्षा विभाग