मुरैना. सरकारी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों का संचालन इन
दिनों औपचारिकता की तरह किया जा रहा है, क्योंकि वहां बच्चे पढऩे के लिए आ
ही नहीं रहे। गुरुवार को शहर के इस्लामपुरा में आजू-बाजू स्थित दो सरकारी
प्राइमरी स्कूलों में भी कोई बच्चा उपस्थित नहीं था। इस बारे में जब
शिक्षकों से बात की गई तो उन्होंने तपाक से कहा कि बच्चे शादियों में गए
होंगे, इसलिए नहीं आए।
इस्लामपुरा के गंदी पोखर इलाके में शासकीय
प्राथमिक विद्यालय, अनिवार्य गांधी नगर में सुबह १० बजे एक भी बच्चा
उपस्थित नहीं था। अधिकांश कक्षों में ताले पड़े हुए थे। बस एक कमरा खुला
था, जिसमें तीन महिला शिक्षक बैठी बतिया रही थीं। बच्चों की उपस्थिति के
संबंध में जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि बुधवार को शादियां बहुत
थीं। इसलिए बच्चे स्कूल नहीं आए हैं। शिक्षकों का कहना था कि वैसे तो उनके
यहां बच्चे आते हैं। स्कूल में एक महिला शिक्षक भी मौजूद नहीं थी। उसके
बारे में बताया गया कि वह बीएलओ ट्रेनिंग में गई है। इस स्कूल के ठीक बगल
में संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय (ईजीएस) नई आबादी सिग्नल बस्ती में
भी बच्चों की उपस्थिति का यही हाल था। वहां चार में से सिर्फ एक शिक्षक
मौजूद था और बच्चे सिर्फ दो। जो एबीएल कक्ष में कार्ड मैच कर रहे थे। यहां
मौजूद शिक्षक ने भी कहा कि बच्चे सहालग की वजह से नहीं आए होंगे। स्टाफ के
तीन अन्य मेंबर्स के बीएलओ ट्रेनिंग में जाने की बात यहां भी सुनने को
मिली।
दोनों स्कूलों में 127 बच्चे
जिन दोनों स्कूलों में बच्चों की
उपस्थिति का आंकड़ा निल मिला, वहां कुल मिलाकर 127 बच्चों के नाम दर्ज हैं।
शासकीय प्राथमिक विद्यालय अनिवार्य गांधी नगर के छात्र उपस्थिति रजिस्टर
में 52 बच्चों के नाम लिखे हुए हैं तो शासकीय प्राथमिक विद्यालय ईजीएस, नई
बस्ती सिग्नल बस्ती में छात्र-छात्राओं की संख्या ७५ है।
नए प्रवेश भी न के बराबर
सरकारी
स्कूलों में बच्चों के न आने की बात शिक्षा विभाग के अधिकारी भी स्वीकार
कर रहे हैं। हालांकि उनका कहना है कि यह समय नए प्रवेश का है, लेकिन इन दो
स्कूलों में फिलहाल नए बच्चों के प्रवेश का आंकड़ा न के बराबर है। शाप्रावि
ईजीएस में मौजूद शिक्षक ने बताया कि नए सत्र के लिए अभी सिर्फ दो-तीन
बच्चों का दाखिला कराया गया है।
रोज ही नहीं आते हैं बच्चे
एक ओर
जहां स्कूलों में मौजूद शिक्षकों का कहना था कि बच्चे शादियों में गए
होंगे, इसलिए नहीं आए। वहीं आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि यह तो रोज
का किस्सा है। स्कूल के पास ही खेल रहे एक किशोर ने कहा कि अब तो परीक्षाएं
हो चुकी हैं, इसलिए बच्चे नहीं आ रहे हैं। वैसे यहां तो सालभर यही स्थिति
रहती है। सुबह के समय कुछ बच्चे आते भी हैं, लेकिन मध्यान्ह भोजन खाकर चले
जाते हैं।
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