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Tuesday 5 December 2017

नए बने हाईस्कूलों में दो साल बाद भी नहीं पहुंचे शिक्षक

राजगढ़। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा के लिए दो वर्ष पूर्व मिडिल स्कूलों से हाईस्कूल बने राजगढ़ ब्लॉक के चार विद्यालयों में दो वर्ष बाद भी नियमित शिक्षक सहित कोई भी पद स्वीकृत नहीं हो पाया है। ऐसे में इन विद्यालयों में प्रवेश लेने वाले सैकड़ो विद्यार्थियों की पढ़ाई अधर में है।
ऐसे में बीते साल माध्यमिक से हाईस्कूल हुए सरेड़ी स्कूल के कई विद्यार्थी और ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां उन्होंने शिक्षको की व्यवस्था कराने के लिए कलेक्टर को आवेदन सौंपा। शिक्षको की मांग करने वालों में सरेड़ी के राधेश्याम, पर्वत सिंह, लखन सिंह, ईश्वर सिंह,पवन, मुकेश सहित अन्य ग्रामीण और विद्यार्थी शामिल थे।
भवन स्वीकृत मगर शिक्षक नहीं
कि बीते साल सरेड़ी सहित राजगढ़ ब्लाक के धनवासकलां, माचलपुर और झंझाडपुर गांव के माध्यमिक विद्यालयों को हाईस्कूल के रूप में उन्नयन किया गया था। इसके बाद इस वर्ष इन विद्यालयों के लिए करीब एक-एक करोड़ की लागत से बनने वाले भवन आदि की स्वीकृति तो हो गई है। लेकिन अब तक वर्ग एक के शिक्षक का एक भी पद स्वीकृत नहीं हो पाया है। ऐसे में पिछले दो सत्र से यहां पडऩे वाले विद्यार्थियों को अतिथि शिक्षक पड़ा रहे है। जिनमें से कोई की शिक्षण व्यवस्था के लिए प्रशिक्षित नहीं है।
तालाब में डूब रहे कुंए और उद्यान, सिर्फ जमीन का मिल रहा मुआवजा
राजगढ़ जिले में इन दिनों दो बड़ी सिंचाई परियोजनाओं सहित कई छोटे तालाब और अन्य विकास कार्यो का निर्माण चल रहा है। जिनमें सैकड़ो किसानों और ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की गई है। लेकिन इस संबंध में प्रशासन और राजस्व विभाग की अधूरी कार्रवाई के कारण आए दिन विवाद की स्थिति बन रही है। ताजा मामला राजगढ़ के पास के गांव सरेड़ी का है, जहां बनने वाले जलसंसाधन विभाग के एक तालाब में आसपास के गांवों के करीब ४० किसानों की जमीन डूब रही है। लेकिन विभाग द्वारा किए गए सर्वे में कई किसानों की जमीन के साथ मौजूद फलदार वृक्ष, कृंए आदि की गणना नहीं की गई है। सरेड़ी के किसान राधेश्याम सौंधिया ने कलेक्टर को शिकायत करते हुए बताया कि मालीपुरा नाम से बन रहे इस तालाब में उसकी काफी भूमि डूब रही है। जिसका मुआवजा बीते साल ही विभाग ने निर्धारित कर दिया था। लेकिन इस दौरान जमीन पर मौजूद करीब पांच सो फलदार पौधो और दो कुंए की गणना नहीं की गई। यही समस्या तालाब में डूब में आने वाली जमीन के कई अन्य किसानों की भी है।
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