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Monday 15 May 2017

छात्र स्कूल नहीं आए तो घर पहुंचे शिक्षक रोज टेस्ट, नतीजा- 100 प्रतिशत पास

सरकारी स्कूल का जिक्र आते ही टूटे-फूटे फर्नीचर, क्लास में मस्ती करते विद्यार्थी और बाबूगिरी में व्यस्त शिक्षकों का चित्र उभर आता है लेकिन जिले में ऐसे सरकारी स्कूल भी है, जिन्होंने इस समस्याओं के बीच बोर्ड परीक्षाओं में 100 फीसदी रिजल्ट दिया। 12वीं में ऐसे 17 और 10वीं में 16 सरकार स्कूल है। इन स्कूलों के प्राचार्य और शिक्षकों ने कड़ी मेहनत की। एक-एक विद्यार्थी की पढ़ाई पर पूरा ध्यान रखा।
जब कोई विद्यार्थी स्कूल नहीं आया तो उसके घर पहुंच गए, उसे स्कूल लाए और एक ही सवाल कई-कई बार समझाया। रोज टेस्ट लिए। विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जगाने के लिए महापुरुषों के संघर्ष की कहानियां सुनाई और 100 फीसदी छात्र पास हो गए। भास्कर ने ऐसे स्कूलों के प्राचार्यों से उनका टीचिंग मैनेजमेंट जाना।

सालभर चलाईं स्पेशल कक्षाएं

शा. हाईस्कूल नलवा का रिजल्ट 10वीं में 100 प्रतिशत रहा। 11 विद्यार्थी प्रथम आैर 5 द्वितीय श्रेणी में पास हुए। प्राचार्य नीलिमा सोनी बताती हैं ग्रामीण क्षेत्र के कारण यहां के बच्चे स्कूली पढ़ाई पर ही फोकस रहते हैं। एक-दो दिन कोई बच्चा स्कूल नहीं आता है तो प्राचार्य सहित अन्य शिक्षक उसके घर पहुंच जाते हैं आैर पालकों को बच्चे को नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करते हैं। कमजोर विद्यार्थियों की भी स्पेशल कक्षाएं सालभर चलाई।

रेगुलर होमवर्क को बनाया पढ़ाई का तरीका

शासकीय उमावि चामलेश्वर में 12वीं कक्षा में सभी 14 विद्यार्थी पास हुए। इसमें भी खास यह है कि 14 में से 13 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में पास हुए। प्राचार्य ब्रजमोहनसिंह परिहार ने बताया स्कूल खुलने के बाद ही विद्यार्थियों को रेगुलर होमवर्क की आदत डाली, जिससे उनके शैक्षणिक स्तर में सुधार आया। साथ ही कमजोर विद्यार्थियों के लिए स्पेशल क्लासेस को भी पढ़ाई का एक तरीका बनाया।

हर शिक्षक को दे दिए पांच विद्यार्थी गोद

शहर का शा. उमावि जीवाजीगंज एकमात्र ऐसा स्कूल रहा, जिसका 10वीं के अलावा 12वीं का रिजल्ट भी 100 फीसदी रहा। 10वीं में 12 प्रथम आैर 9 द्वितीय श्रेणी में पास हुए। 12वीं में 18 प्रथम, 16 द्वितीय आैर 2 तृतीय श्रेणी में पास हुए। प्राचार्य देवेंद्र आर्य ने बताया जून-जुलाई से ही प्रत्येक टीचर को पांच विद्यार्थियों की जिम्मेदारी देने का काम शुरू कर दिया था। अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के बाद निदानात्मक कक्षाएं लगाना भी कारगर रहा।

पिछले साल के पेपर्स सॉल्व कराकर लिए टेस्ट

शा. उमावि कालूहेड़ा में 12वीं में सभी 23 विद्यार्थी पास हुए। 13 प्रथम आैर 10 द्वितीय श्रेणी में पास हुए। खास बात यह है कि पहली बार ही स्कूल में 2016-17 में 12वीं की शुरुआत हुई थी। प्राचार्य प्रदीप सिंह ने बताया कक्षा की शुरुआत से ही उपस्थिति पर खास ध्यान दिया। कमजोर विद्यार्थियों को पिछली बोर्ड परीक्षाओं के पेपर सॉल्व करवाए। रेगुलर टेस्ट भी लिए। बार-बार अभ्यास से विद्यार्थियों की शैक्षणिक स्थिति में सुधार आने लगा।

पिछले साल सबसे कम, इस बार सौ फीसदी परिणाम

शा. उमावि माधवगंज का रिजल्ट इस बार 10वीं में 100 प्रतिशत रहा। 6 प्रथम आैर 3 द्वितीय श्रेणी में आए। खास बात यह है कि पिछले साल इस स्कूल का रिजल्ट जिले में सबसे कम 22 प्रतिशत रहा था। प्राचार्य पीएन महाजन ने बताया पिछले साल के रिजल्ट से सीख लेते हुए हमने शुरू से ही होमवर्क आैर रेगुलर वैल्यूएशन पर ज्यादा फोकस किया।
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