MP Guest teacher News: मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों को बड़ा झटका लगाए दरअसल लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे अतिथि शिक्षकों को अब नियमित नहीं किया जाएगा। बल्कि सीधी भर्ती में 25 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों द्वारा नियमितीकरण की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। लंबे समय से अपनी सेवाओं को स्थायी करने की कोशिश कर रहे ये शिक्षक अब निराश नजर आ रहे हैं।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) को निर्देशित किया था कि वह इस मामले का उचित निराकरण करे। लेकिन DPI की तरफ से जो नया निर्णय आया है, उसने इन शिक्षकों की उम्मीदों को तोड़ दिया है।
DPI के अनुसार, अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित नहीं किया जाएगा। बल्कि, सीधी भर्ती में उन्हें 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इसका मतलब है कि अतिथि शिक्षकों को बिना भर्ती परीक्षा में शामिल हुए नियमितीकरण का मौका नहीं मिलेगा। DPI ने यह भी स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) भर्ती नियम 2018 और उसके संशोधन के अनुसार, खाली पदों को भरने के लिए शिक्षक चयन परीक्षा का प्रावधान है, जिसमें अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित 25 प्रतिशत पद होंगे।
इसके अतिरिक्त, DPI ने यह भी बताया कि केवल वे अतिथि शिक्षक जो न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों और 200 दिन प्रदेश के सरकारी विद्यालय में कार्य कर चुके हैं, ही इन आरक्षित पदों के लिए पात्र होंगे। यदि इन अतिथि शिक्षकों के लिए निर्धारित पदों को भरने में कोई समस्या आती है, तो रिक्त पदों को अन्य योग्य अभ्यर्थियों से भरा जाएगा।
नियमितीकरण की मांग: एक लंबा सफर
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 70 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक
कार्यरत हैं, जिनमें से कई ने 10-12 वर्षों से इस क्षेत्र में सेवाएँ दी
हैं। ये शिक्षक लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। नीमच के निवासी
फिरोज मंसूरी सहित अन्य शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएँ दायर की थीं,
जिसमें उन्होंने अपनी योग्यता और अनुभव का हवाला दिया था। उनका कहना था कि
वे शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं और उनके पास बीएड तथा डीएड
की डिग्रियाँ भी हैं।
अतिथि शिक्षकों ने विभिन्न राज्यों में नियमितीकरण के उदाहरणों का हवाला देते हुए अपनी मांग को और मजबूत किया। हालांकि, DPI के हालिया निर्णय ने उनकी उम्मीदों को एक बार फिर से झटका दिया है। अब देखना यह है कि ये शिक्षक इस निराशाजनक निर्णय के खिलाफ आगे क्या कदम उठाते हैं और क्या सरकार उनकी स्थिति में कोई सुधार लाने के लिए तैयार होती है।
आगे का रास्ता
इस मामले में अभी भी कई याचिकाएँ लंबित हैं, और शिक्षा विभाग पर दबाव बना
हुआ है कि वह नियमितीकरण के लिए कोई ठोस कदम उठाए। अतिथि शिक्षकों की
स्थिति को लेकर उनके संघर्ष का यह सफर अब भी जारी है, और वे अपने हक के लिए
लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार हैं। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इन
शिक्षकों की मेहनत और अनुभव को सही मायने में स्वीकार कर उन्हें स्थायी
नौकरी का अवसर प्रदान करती है या नहीं।
अतिथि शिक्षक संघ ने सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया
मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों के संघ ने अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने का फैसला किया है। संघ के प्रांतीय प्रवक्ता रविकांत गुप्ता ने कहा कि अतिथि शिक्षकों ने अपनी आधी जिंदगी इस उम्मीद में बिता दी कि उन्हें नियमित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार के विभिन्न प्रतिनिधियों ने नियमितीकरण के वादे किए थे, लेकिन अब सरकार अपनी बात से मुकर रही है। ऐसे में अतिथि शिक्षक न्याय की तलाश में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
अब तक का घटनाक्रम
- अतिथि शिक्षकों की इस निराशाजनक स्थिति का सिलसिला काफी पुराना है। यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ दर्शाई जा रही हैं:
- 11 सितंबर 2019: DPI ने एक आदेश जारी किया, जिसमें पात्र अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की संभावनाएँ देखी गई थीं।
- 2020: DPI के निराकरण न करने की स्थिति में लगभग 1200 अतिथि शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
- सितंबर 2023 से मार्च 2024: उच्च न्यायालय ने DPI को निर्देश दिए कि वह दो महीने के अंदर इस मामले का निराकरण करे।
- 26 जून 2024 से 4 सितंबर 2024: DPI ने अंततः मामले का निराकरण किया, लेकिन इसका परिणाम अतिथि शिक्षकों के लिए निराशाजनक था, क्योंकि उन्हें सीधे नियमित नहीं किया गया।
न्याय की आस
अब संघ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का मन बनाया है। अतिथि शिक्षकों का मानना है कि उनकी मेहनत और वर्षों की सेवा को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें न्याय दिलाने में मदद करेगा। यह देखा जाना बाकी है कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में क्या निर्णय लेता है और क्या अतिथि शिक्षकों को उनका हक मिल पाएगा या नहीं।