सिहोरा। नईदुनिया न्यूज
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ अध्यापक प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष गगन चौबे ने जारी विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा 22 मई को जारी आदेश में 9 से 12 पढ़ाने वाले शिक्षकों को अर्जित अवकाश दिए जाने संबंधी निर्देश दिए गए हैं जबकि दिन रात कोरोना संक्रमण की परवाह किए बिना अपनी जान को जोखिम में डालकर घरों से बाहर ड्यूटी कर रहे शिक्षकों को अर्जित अवकाश में शामिल नहीं किया जाना शासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
संघ ने बताया कि ये प्राथमिक/माध्यमिक शिक्षक संकटकाल में अपनी सेवाएं घर घर सर्वे करने में, नाके में, बैंक में, मंडी में, किराना दुकान में एवं अन्य क्षेत्रों में दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शेष रह गए शिक्षक ऑनलाइन क्लास के माध्यम से अपनी पूरी सेवाएं घरों पर रहकर दे रहे हैं। ऑनलाइन में शिक्षकों को 10 से 12 घंटे छात्रों को देना पड़ रहा है। लेकिन शासन इनके कार्यों की उपेक्षा कर अपनी संवेदनाहीनता का परिचय दे रही है।
अतः संघ के
संजीव उरमलिया, सुशील दाहिया, मनीष चौबे, विनय नामदेव, मंजीत प्रताप सिंह,
नीलेश शुक्ला, श्याम किशोर यादव, रहीम खान, अनिल साहलाम, अनिल ज्योतिषी,
बलराम उपाध्याय, राजेश कोल, रामनरेश कोल, राजेन्द्र पटेल, उमेश कोल, विवेक
दीक्षित, प्रिंस उपाध्याय आदि ने प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री से मांग
की है कि 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्राथमिकता के क्रम में अर्जित
अवकाश के लिए शासन को आदेशित करें।
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ अध्यापक प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष गगन चौबे ने जारी विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा 22 मई को जारी आदेश में 9 से 12 पढ़ाने वाले शिक्षकों को अर्जित अवकाश दिए जाने संबंधी निर्देश दिए गए हैं जबकि दिन रात कोरोना संक्रमण की परवाह किए बिना अपनी जान को जोखिम में डालकर घरों से बाहर ड्यूटी कर रहे शिक्षकों को अर्जित अवकाश में शामिल नहीं किया जाना शासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
संघ ने बताया कि ये प्राथमिक/माध्यमिक शिक्षक संकटकाल में अपनी सेवाएं घर घर सर्वे करने में, नाके में, बैंक में, मंडी में, किराना दुकान में एवं अन्य क्षेत्रों में दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शेष रह गए शिक्षक ऑनलाइन क्लास के माध्यम से अपनी पूरी सेवाएं घरों पर रहकर दे रहे हैं। ऑनलाइन में शिक्षकों को 10 से 12 घंटे छात्रों को देना पड़ रहा है। लेकिन शासन इनके कार्यों की उपेक्षा कर अपनी संवेदनाहीनता का परिचय दे रही है।