सागर. स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में
अभ्यर्थियों और स्कूल शिक्षा विभाग के माफियाओं ने मिलीभगत कर जिले में
बड़े शिक्षा घोटाले को अंजाम दिया है। इस फर्जीबाड़े के तार स्कूलों से
निकलकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और भोपाल तक जा पहुंचे हैं।
पात्र अभ्यार्थियों को गुमराह करने के लिए साजिश के तहत कार्य किया गया और शिक्षा विभाग के पोर्टल पर मजह २९५९ पद ही रिक्त बताए गए, जबकि जिले के स्कूलों में ३६५८ पदों पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती कर दी गई है। विभाग की मानें तो यह भर्ती १७ दिसंबर २०१८ से ३० दिसंबर २०१८ के बीच की गई है।
पोर्टल पर दर्ज रिक्त पदों की संख्या और पत्रिका के खुलासे बाद हुई जांच से सामने आए तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो गई है कि करीब ६०० से ज्यादा भर्तियों में अभ्यर्थियों और विभाग के दलालों के बीच सीधी डील हुई है। सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता की प्रभावी होने की आड़ में उल्टी सीधी भर्तियां कर दी गई, जिसमें मेरिट लिस्ट बनाने
जैसी प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया।
ऐसी भी की लापरवाही
पोर्टल पर जिन स्कूलों में संबधित विषय के पद रिक्त बताए जा रहे थे, उन स्कूलों में पहले से ही प्राचार्यों ने सांठगांठ करके अपने चहेतो को बैठा दिया था। पोर्टल और स्कूलों में तैनात अतिथि शिक्षकों से जुड़ी भ्रामक जानकारी के लगभग ३७४ मामले सामने आए हैं। पोर्टल पर जिन ३७४ पदों को रिक्त बताया जा रहा था वे उन पदों पर शिक्षक पहले से स्कूलों में पढ़ा रहे थे। हैरानी की बात यह है कि इतना बड़ा फर्जीबाड़ा होने के बाद भी विभाग के जिम्मेदार अफसर न समझ बनने की कोशिश कर रहे हैं।
सैकड़ों अभ्यार्थी रह गए वंचित
स्कूलों में पहले से भर्ती की वजह से सैकड़ों अभ्यर्थी ऐसे वंचित रह गए हैं, जो आवेदन करने के लिए तारीख का इंतजार कर रहे थे। ये अभ्यर्थी जब स्कूल पहुंचे तो प्राचार्यों ने यह कहकर मना कर दिया है कि स्कूलों में भर्ती कर लगी गई है और स्कूल में शिक्षक की कमी ही नहीं है तो वेतन कैसे देंगे। ऐसे में पिछले साल से ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन करने वाले अतिथि शिक्षकों को स्कूल में पढ़ाने का मौका नहीं मिल पाया है।
ये पद दिख रहे
थे खाली
वर्ग १ ५४७
वर्ग २ २०२५
वर्ग ३ ३८७
कुल २९५९
पात्र अभ्यार्थियों को गुमराह करने के लिए साजिश के तहत कार्य किया गया और शिक्षा विभाग के पोर्टल पर मजह २९५९ पद ही रिक्त बताए गए, जबकि जिले के स्कूलों में ३६५८ पदों पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती कर दी गई है। विभाग की मानें तो यह भर्ती १७ दिसंबर २०१८ से ३० दिसंबर २०१८ के बीच की गई है।
पोर्टल पर दर्ज रिक्त पदों की संख्या और पत्रिका के खुलासे बाद हुई जांच से सामने आए तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो गई है कि करीब ६०० से ज्यादा भर्तियों में अभ्यर्थियों और विभाग के दलालों के बीच सीधी डील हुई है। सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता की प्रभावी होने की आड़ में उल्टी सीधी भर्तियां कर दी गई, जिसमें मेरिट लिस्ट बनाने
जैसी प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया।
ऐसी भी की लापरवाही
पोर्टल पर जिन स्कूलों में संबधित विषय के पद रिक्त बताए जा रहे थे, उन स्कूलों में पहले से ही प्राचार्यों ने सांठगांठ करके अपने चहेतो को बैठा दिया था। पोर्टल और स्कूलों में तैनात अतिथि शिक्षकों से जुड़ी भ्रामक जानकारी के लगभग ३७४ मामले सामने आए हैं। पोर्टल पर जिन ३७४ पदों को रिक्त बताया जा रहा था वे उन पदों पर शिक्षक पहले से स्कूलों में पढ़ा रहे थे। हैरानी की बात यह है कि इतना बड़ा फर्जीबाड़ा होने के बाद भी विभाग के जिम्मेदार अफसर न समझ बनने की कोशिश कर रहे हैं।
सैकड़ों अभ्यार्थी रह गए वंचित
स्कूलों में पहले से भर्ती की वजह से सैकड़ों अभ्यर्थी ऐसे वंचित रह गए हैं, जो आवेदन करने के लिए तारीख का इंतजार कर रहे थे। ये अभ्यर्थी जब स्कूल पहुंचे तो प्राचार्यों ने यह कहकर मना कर दिया है कि स्कूलों में भर्ती कर लगी गई है और स्कूल में शिक्षक की कमी ही नहीं है तो वेतन कैसे देंगे। ऐसे में पिछले साल से ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन करने वाले अतिथि शिक्षकों को स्कूल में पढ़ाने का मौका नहीं मिल पाया है।
ये पद दिख रहे
थे खाली
वर्ग १ ५४७
वर्ग २ २०२५
वर्ग ३ ३८७
कुल २९५९