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शिक्षा का अधिकार अधिनियम की सख्ती से घटेगी स्कूलों की संख्या

भास्कर संवाददाता|नसरुल्लागंज मार्च महीने खत्म होते ही निजी स्कूलों पर गाज गिरना संभव है। क्योंकि 31 मार्च को शिक्षा अधिकार कानून में मिली राहत खत्म हो जाएगी। यदि अधिनियम का सख्ती से पालन हुआ तो क्षेत्र में निजी शिक्षण संस्थाओं की संख्या घट जाएगी।

तहसील क्षेत्र में लगभग 60 फीसदी निजी स्कूलों में आज भी अनटेंड्र शिक्षकों द्वारा बच्चों को अध्यापन कार्य कराया जा रहा हैं। निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा अब भी शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं कराया जा रहा है। हालांकि 31 मार्च को आरटीई के तहत दी गई राहत समाप्त हो जाएगी। इस राहत में यह उल्लेख किया गया था कि यदि शिक्षण संस्थाओं में पांच साल के अंदर प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई तो उनकी वरीयता समाप्त कर दी जाएगी। अनट्रेंड शिक्षकों से कम वेतन पर कार्य करने वाली संस्थाओं को इसका परिणाम भुगतना होगा।

यह है जिले में स्थिति : एलकेजी से लेकर हायर सेकंडरी तक के लिए 636 निजी स्कूल पंजीकृत हैं। जिनमें लगभग 7 हजार शिक्षक अध्यापन कार्य करा रहे हैं। इनमें लगभग 86 प्रतिशत स्कूल ऐसे है जिनमें अनट्रेंड शिक्षकों द्वारा अध्यापन कार्य कराया जा रहा हैं। वहीं नसरुल्लागंज क्षेत्र में 68 स्कूलों में भी लगभग 650 शिक्षकों द्वारा अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। इनमें 70 फीसदी स्कूलों में अनट्रेंड शिक्षक ही हैं।

क्या कहता है प्रावधान

प्राइवेट स्कूलों में कई अन्य प्रावधान करना है। स्कूल में छात्र शिक्षक अनुपात, पर्याप्त कक्षा और खुले मैदान संबंधित कानूनी बाध्यता है। वर्तमान में अधिकांश स्कूल ऐसे चल रहे हैं जिनमें खेल मैदान ही नहीं हैं। रिहायशी कॉलोनियों में ऐसे स्कूलों का संचालन एक बिल्डिंग में हो रहा है। शिक्षकों को वेतन भी कम दिया जाता है।

किराये के मकानों में स्कूल

जिले में 35 फीसदी निजी स्कूल किराए के भवनों में संचालित किए जा रहे हैं। 10 हजार से 1 लाख महीने के भवनों में प्राथमिक से हायर सेकंडरी स्कूलों का संचालन कर मोटी कमाई की जा रही हैं। कम वेतन पर शिक्षकों की पदस्थापना कर पालकों पर अतिरिक्त बोझ डालते हुए फीस में बढ़ोतरी करना अब इस संस्थाओं का नियम बन गया है।

कैसे प्राप्त करें डिग्री

प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक के साथ यह समस्या मुंह खोले खड़ी हुई हैं कि वे डीएड और बीएड की डिग्री कैसे प्राप्त करें। क्योंकि डीएड और बीएड के लिए लाखों रुपए का खर्चा आ रहा हैं। इस कोर्स को पूर्ण करने के लिए उनके पास आर्थिक संकट होने से वह इस डिग्री को प्राप्त करने के बजाय निजी संस्थाओं में अध्यापन कार्य करने लगते हैं। इस वर्ष से बीएड दो साल का हो गया। इसमें सालाना फीस 45 हजार के करीब है। अन्य खर्च अलग।

क्या है शिक्षा का स्तर

प्राथमिक तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को डीएड अथवा समकक्ष डिग्री व डिप्लोमा लेना जरुरी है। जबकि माध्यमिक स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक के अलावा बीएड करना जरुरी है। हायर एज्युकेशन में स्नातकोत्तर के साथ बीएड जरुरी है।

मान्यता देते समय रखा जाएगा ध्यान

इस वर्ष निजी शिक्षण संस्थाओं को मान्यता देते समय इसका पूर्ण ध्यान रखा जाएगा। अब कलेक्टर की अनुशंसा के बाद ही मान्यता प्रदान की जाती है। गजट नोटिफिकेशन में यह बात स्पष्ट रुप से दी गई है। शिक्षा अधिकार का कानून का सख्ती से पालन कराया जाएगा। अनिल कुमार वैद्य, डीईओ सीहोर

क्या कहता है शिक्षा अधिकार कानून

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। कानून की धारा 23(2) में प्रावधान है कि 8 वीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को 5 साल के भीतर निर्धारित क्वालिफिकेशन हासिल करना होगी। शासकीय स्कूल में अधिकांश शिक्षक ट्रेंड हैं। कानून लागू होने के बाद संविदा शिक्षक भर्ती में अनट्रेंड शिक्षकों को लिया ही नहीं है। ऐसे में परेशानी निजी स्कूलों को होगी। 

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