शासन की बच्चों को 8वीं तक पास करने की नीति शिक्षा की नींव कमजोर कर रही है। शाहपुर क्षेत्र के स्कूलों में पड़ताल के दौरान 8वीं तक पास करने की जमीनी हकीकत सामने आई। खासकर संग्रामपुर के माध्यमिक स्कूल में कक्षा छठी के विद्यार्थी स्वर-व्यंजन की पहचान नहीं कर पाए।
शर्म के मारे शिक्षक कक्षा के दरवाजे बंद कर पढ़ाते दिखे। इसके अलावा अन्य स्कूलों में भी अधिकांश विद्यार्थी अपनी कक्षा के स्तर की जानकारी नहीं दे पाए।
मंगलवार सुबह 11.30 बजे ग्राम संग्रामपुर के शासकीय माध्यमिक स्कूल में पढ़ाई चल रही थी। कक्षा छठी के कमरे का दरवाजा बंद था। भास्कर टीम ने अंदर जाकर देखा तो शिक्षक रविकांत सातारकर कक्षा के 13 बच्चों को बोर्ड पर अ, आ, इ, ई लिखना सिखा रहे थे। शिक्षक से पूछा गया कि कक्षा छठी के बच्चों को स्वर और व्यंजन क्यों पढ़ा रहे हो। शिक्षक ने कहा- कुछ बच्चे कमजाेर है। स्कूल नहीं आते हैं। इसलिए पढ़ा रहे हैं। इससे ज्यादा शिक्षक ने कुछ नहीं कहा। दरवाजा बंद करके पढ़ाने की बात पर चुप्पी साध ली। स्कूल में कक्षा छठी की दर्ज संख्या 25 है लेकिन अाधे ही बच्चे मौजूद थे। प्राचार्य संजय राठौर ने कहा- बच्चे हर दिन स्कूल नहीं आ रहे हैं। पढ़ाई के प्रति जागरुकता की कमी है। हम ईमानदारी से काम कर रहे हैं। विद्यार्थियों से पूछने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
हम सर्वे कर रहे हैं। दो- तीन दिन पहले संग्रामपुर गए थे। कुछ जगह से ऐसी जानकारी मिल रही है। 8वीं तक पास करने का आदेश तो शासन का है। बच्चों को 8वीं तक क्रमोन्नत करना है। -भागीरथ सिटोले, जिला शिक्षा अधिकारी बुरहानपुर
संग्रामपुर माध्यमिक स्कूल में कक्षा 6वीं के बच्चों को शिक्षक रविकांत सातारकर स्वर, व्यंजन पढ़ाते दिखे।
अक्षर भी नहीं पहचान पाए
दोपहर 3 बजे दर्यापुर के प्राथमिक स्कूल की कक्षा चौथी में कोई शिक्षक नहीं मिला। दीवार पर लिखे अक्षरों के बारे में पूछने पर कोई भी बच्चा पहचान नहीं पाया। कक्षा की दर्ज संख्या 25 है यहां 11 ही बच्चे मौजूद थे। प्रभारी प्राचार्य श्रावण लोखंडे ने कहा कुछ बच्चे कमजोर हैं। शाहपुर क्षेत्र के कोदरी, खारी, कालमाटी, नांदगांव के प्राथमिक स्कूलों में भी ऐसे ही हालात मिले। ग्राम उदली में तो शिक्षकों को बच्चों के घर जाकर स्कूल में बुलाना पड़ रहा है।
तीन अंकों से ऊपर जानकारी नहीं
शाम 3.45 बजे खड़कोद के प्राथमिक स्कूल की कक्षा चौथी में गणित पढ़ाया जा रहा था लेकिन पूछने पर बच्चे अंक नहीं समझ पाए। हालांकि विद्यार्थियों से स्वर, व्यंजन के बारे में पूछा तो सभी ने सही जवाब दिए। गणित में तीन अंकों से ऊपर कोई जानकारी नहीं दे पाया। यहां कक्षा चौथी की दर्ज संख्या 35 है लेकिन 21 बच्चे ही मिले। शिक्षिका अनिता जड़तकर से बच्चों के गणित ज्ञान पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा हम सही तरीके से पढ़ा रहे हैं।
शर्म के मारे शिक्षक कक्षा के दरवाजे बंद कर पढ़ाते दिखे। इसके अलावा अन्य स्कूलों में भी अधिकांश विद्यार्थी अपनी कक्षा के स्तर की जानकारी नहीं दे पाए।
मंगलवार सुबह 11.30 बजे ग्राम संग्रामपुर के शासकीय माध्यमिक स्कूल में पढ़ाई चल रही थी। कक्षा छठी के कमरे का दरवाजा बंद था। भास्कर टीम ने अंदर जाकर देखा तो शिक्षक रविकांत सातारकर कक्षा के 13 बच्चों को बोर्ड पर अ, आ, इ, ई लिखना सिखा रहे थे। शिक्षक से पूछा गया कि कक्षा छठी के बच्चों को स्वर और व्यंजन क्यों पढ़ा रहे हो। शिक्षक ने कहा- कुछ बच्चे कमजाेर है। स्कूल नहीं आते हैं। इसलिए पढ़ा रहे हैं। इससे ज्यादा शिक्षक ने कुछ नहीं कहा। दरवाजा बंद करके पढ़ाने की बात पर चुप्पी साध ली। स्कूल में कक्षा छठी की दर्ज संख्या 25 है लेकिन अाधे ही बच्चे मौजूद थे। प्राचार्य संजय राठौर ने कहा- बच्चे हर दिन स्कूल नहीं आ रहे हैं। पढ़ाई के प्रति जागरुकता की कमी है। हम ईमानदारी से काम कर रहे हैं। विद्यार्थियों से पूछने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
हम सर्वे कर रहे हैं। दो- तीन दिन पहले संग्रामपुर गए थे। कुछ जगह से ऐसी जानकारी मिल रही है। 8वीं तक पास करने का आदेश तो शासन का है। बच्चों को 8वीं तक क्रमोन्नत करना है। -भागीरथ सिटोले, जिला शिक्षा अधिकारी बुरहानपुर
संग्रामपुर माध्यमिक स्कूल में कक्षा 6वीं के बच्चों को शिक्षक रविकांत सातारकर स्वर, व्यंजन पढ़ाते दिखे।
अक्षर भी नहीं पहचान पाए
दोपहर 3 बजे दर्यापुर के प्राथमिक स्कूल की कक्षा चौथी में कोई शिक्षक नहीं मिला। दीवार पर लिखे अक्षरों के बारे में पूछने पर कोई भी बच्चा पहचान नहीं पाया। कक्षा की दर्ज संख्या 25 है यहां 11 ही बच्चे मौजूद थे। प्रभारी प्राचार्य श्रावण लोखंडे ने कहा कुछ बच्चे कमजोर हैं। शाहपुर क्षेत्र के कोदरी, खारी, कालमाटी, नांदगांव के प्राथमिक स्कूलों में भी ऐसे ही हालात मिले। ग्राम उदली में तो शिक्षकों को बच्चों के घर जाकर स्कूल में बुलाना पड़ रहा है।
तीन अंकों से ऊपर जानकारी नहीं
शाम 3.45 बजे खड़कोद के प्राथमिक स्कूल की कक्षा चौथी में गणित पढ़ाया जा रहा था लेकिन पूछने पर बच्चे अंक नहीं समझ पाए। हालांकि विद्यार्थियों से स्वर, व्यंजन के बारे में पूछा तो सभी ने सही जवाब दिए। गणित में तीन अंकों से ऊपर कोई जानकारी नहीं दे पाया। यहां कक्षा चौथी की दर्ज संख्या 35 है लेकिन 21 बच्चे ही मिले। शिक्षिका अनिता जड़तकर से बच्चों के गणित ज्ञान पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा हम सही तरीके से पढ़ा रहे हैं।