जबलपुर: मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में अध्यापन कार्य के वक्त सोशल साइट्स पर चैटिंग करने वाले शिक्षकों की अब खैर नहीं. प्रदेश का लोक शिक्षण संचालनालय ऐसे शिक्षकों पर नकेल कसने की तैयारियां कर रहा है. दरसअल, मॉनिटरिंग के लिए विभाग एक सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है, जो सोशल साइट्स पर समय बिताने वाले शिक्षकों की जांच करेगा. जांच में जो शिक्षक ऑनलाइन पाए जाएंगे, उन पर वेतन वृद्धि रोकने के अलावा कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में 25 सितंबर से स्कूलों में ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई है. शिक्षक अब सैलरी स्लिप, स्कॉलरशिप, विभागीय आदेश, जीपीएफ की जानकारी अब मोबाइल एप पर प्राप्त कर सकेंगे. यह सब प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई एम-शिक्षा मित्र मोबाइल एप से संभव हुआ है. विदित हो कि एम-मित्र मोबाइल एप के लिए सभी शिक्षकों के मोबाइल नंबर पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं. एप को डाउनलोड कर शिक्षक और अधिकारी एक दूसरे को फ्री में एसएमएस कर सकते हैं. यही नहीं, एप डाउनलोड करने वालों को 200 एसएमएस फ्री भेजने की सुविधा भी रहेगी. शिक्षकों को जिन अधिकारियों के मोबाइल नंबर नहीं मालूम होंगे, उन्हें उनके पद से एसएमएस करने की सुविधा एप में दी गई है. स्मार्ट फोन में ई-शिक्ष मित्र मोबाइल एप होने की वजह से टीचर अक्सर व्हाट्एप जैसी सोशल साइइट्स पर समय खपाते मिल रहे हैं. इसी को देखते हुए विभाग अब विशेष साफ्टवेयर से शिक्षकों पर नजर रखेगा.
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में 25 सितंबर से स्कूलों में ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई है. शिक्षक अब सैलरी स्लिप, स्कॉलरशिप, विभागीय आदेश, जीपीएफ की जानकारी अब मोबाइल एप पर प्राप्त कर सकेंगे. यह सब प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई एम-शिक्षा मित्र मोबाइल एप से संभव हुआ है. विदित हो कि एम-मित्र मोबाइल एप के लिए सभी शिक्षकों के मोबाइल नंबर पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं. एप को डाउनलोड कर शिक्षक और अधिकारी एक दूसरे को फ्री में एसएमएस कर सकते हैं. यही नहीं, एप डाउनलोड करने वालों को 200 एसएमएस फ्री भेजने की सुविधा भी रहेगी. शिक्षकों को जिन अधिकारियों के मोबाइल नंबर नहीं मालूम होंगे, उन्हें उनके पद से एसएमएस करने की सुविधा एप में दी गई है. स्मार्ट फोन में ई-शिक्ष मित्र मोबाइल एप होने की वजह से टीचर अक्सर व्हाट्एप जैसी सोशल साइइट्स पर समय खपाते मिल रहे हैं. इसी को देखते हुए विभाग अब विशेष साफ्टवेयर से शिक्षकों पर नजर रखेगा.
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