संदीप तिवारी | सागर जिले के स्कूलों के दो रूप हैं। एक जहां शिक्षकों की इतनी भरमार है कि उनमें से कुछ की जरूरत है ही नहीं। ऐसे शिक्षकों की संख्या 400 से भी ज्यादा यानी कि अतिशेष। दूसरा रूप है, 200 ऐसे स्कूल जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। करीब 30 स्कूल ऐसे जहां एक भी शिक्षक नहीं है।
जब प्राइमरी और मिडिल स्कूल में ऐसे हाल होंगे तो आगे चलकर जब बोर्ड परीक्षाओं में यही विद्यार्थी बैठेंगे तो अच्छे रिजल्ट की उम्मीद कैसे होगी? वजह जो भी रही हो, पर स्कूल शिक्षा विभाग ने एक व्यवस्था दी है कि अतिशेष शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के माध्यम से उन स्कूलों में भेजा जाए, जहां उनकी सबसे अधिक जरूरत है। भोपाल से मिले निर्देशों के मुताबिक यह काम 30 अक्टूबर तक हर हाल में हो जाना चाहिए था, प्रदेश के कई जिलों में इसका पालन हो चुका है यहां तक कि सागर संभाग के ही जिले टीकमगढ़ में यह काम नवंबर में निपट चुका है। पर सागर में मामला काउंसिलिंग की तारीख नहीं मिल पाने के कारण उलझा है। यही वजह है कि सागर शहर में वर्षों से अपनी पसंद के स्कूलों में जमे शिक्षकों को दूसरी जरूरतमंद स्कूलों में भेजने का काम ठंडे बस्ते में पहुंच गया है।
637 में से 200 नाम हो गए अलग : सागर में अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई वैसे तो अक्टूबर माह में ही शुरु हो गई थी। लंबी जद्दोजहद के बाद अतिशेष शिक्षकों का चयन हुआ तो प्राइमरी एवं मिडिल में अतिशेष शिक्षकों की संख्या 637 निकली। इनके विरुद्ध दावे-आपत्तियां बुलाई गईं तो 200 से अधिक नाम अलग हो गए। इसके बाद शेष रहे शिक्षकों के नाम पोर्टल पर भी डाले गए। दावा किया गया कि 15 नवंबर तक हर हाल में काउंसिलिंग करा ली जाएगी। पर अब तक ऐसा नहीं हो सका है।
कोशिश करूंगा कि आज तारीख तय हो जाए
हम पूरी तैयारी कर चुकी है। सूची तैयार होने के बाद आई दावे-आपत्तियों के निराकरण के बाद काउंसिलिंग कराने के लिए हम तैयार हैं। यह बात सही है कि यह काम लेट तो हो गया है। बुधवार को ही मैं पूरी जानकारी ले जाकर जिला पंचायत सीईओ से मिलूंगा। पूरी कोशिश होगी कि बुधवार को काउंसिलिंग की तारीख तय हो जाए। -आरएन शुक्ल, डीईओ, सागर
दो साल पहले सागर में युक्तियुक्तकरण का कार्य किया गया था। इसमें 500 से अधिक अतिशेष शिक्षकों को जरूरतमंद स्कूलों में भेजा गया था। इन पर कुछ आरोप भी लगे, पर अधिकांश शिक्षकों ने नई स्कूल में ज्वाइन कर ही लिया था। उस साल पूरे प्रदेश में सागर ने सबसे पहले युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई कर उस पर अमल करने के लिए प्रशंसा भी पाई थी। इस साल सागर प्रदेश में फिसड्डी साबित हो रहा है। यहां तक कि इस कवायद में संभाग के पांच जिलों में से एक टीकमगढ़ तक से वह पिछड़ गया है।
जब प्राइमरी और मिडिल स्कूल में ऐसे हाल होंगे तो आगे चलकर जब बोर्ड परीक्षाओं में यही विद्यार्थी बैठेंगे तो अच्छे रिजल्ट की उम्मीद कैसे होगी? वजह जो भी रही हो, पर स्कूल शिक्षा विभाग ने एक व्यवस्था दी है कि अतिशेष शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के माध्यम से उन स्कूलों में भेजा जाए, जहां उनकी सबसे अधिक जरूरत है। भोपाल से मिले निर्देशों के मुताबिक यह काम 30 अक्टूबर तक हर हाल में हो जाना चाहिए था, प्रदेश के कई जिलों में इसका पालन हो चुका है यहां तक कि सागर संभाग के ही जिले टीकमगढ़ में यह काम नवंबर में निपट चुका है। पर सागर में मामला काउंसिलिंग की तारीख नहीं मिल पाने के कारण उलझा है। यही वजह है कि सागर शहर में वर्षों से अपनी पसंद के स्कूलों में जमे शिक्षकों को दूसरी जरूरतमंद स्कूलों में भेजने का काम ठंडे बस्ते में पहुंच गया है।
637 में से 200 नाम हो गए अलग : सागर में अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई वैसे तो अक्टूबर माह में ही शुरु हो गई थी। लंबी जद्दोजहद के बाद अतिशेष शिक्षकों का चयन हुआ तो प्राइमरी एवं मिडिल में अतिशेष शिक्षकों की संख्या 637 निकली। इनके विरुद्ध दावे-आपत्तियां बुलाई गईं तो 200 से अधिक नाम अलग हो गए। इसके बाद शेष रहे शिक्षकों के नाम पोर्टल पर भी डाले गए। दावा किया गया कि 15 नवंबर तक हर हाल में काउंसिलिंग करा ली जाएगी। पर अब तक ऐसा नहीं हो सका है।
कोशिश करूंगा कि आज तारीख तय हो जाए
हम पूरी तैयारी कर चुकी है। सूची तैयार होने के बाद आई दावे-आपत्तियों के निराकरण के बाद काउंसिलिंग कराने के लिए हम तैयार हैं। यह बात सही है कि यह काम लेट तो हो गया है। बुधवार को ही मैं पूरी जानकारी ले जाकर जिला पंचायत सीईओ से मिलूंगा। पूरी कोशिश होगी कि बुधवार को काउंसिलिंग की तारीख तय हो जाए। -आरएन शुक्ल, डीईओ, सागर
दो साल पहले सागर में युक्तियुक्तकरण का कार्य किया गया था। इसमें 500 से अधिक अतिशेष शिक्षकों को जरूरतमंद स्कूलों में भेजा गया था। इन पर कुछ आरोप भी लगे, पर अधिकांश शिक्षकों ने नई स्कूल में ज्वाइन कर ही लिया था। उस साल पूरे प्रदेश में सागर ने सबसे पहले युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई कर उस पर अमल करने के लिए प्रशंसा भी पाई थी। इस साल सागर प्रदेश में फिसड्डी साबित हो रहा है। यहां तक कि इस कवायद में संभाग के पांच जिलों में से एक टीकमगढ़ तक से वह पिछड़ गया है।