भास्कर संवाददाता | शाजापुर शिक्षक बनाने के रास्ते खोलने के साथ ही शिक्षकों को समय-समय पर ट्रेंड करने वाले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था में मौजूदा हालात कठिनाई व चुनौतियों से भरे हैं। शैक्षणिक महकमे में यहां 17 में से 12 पद खाली हैं।
तीन साल से संस्था में मददगार बन रहे ह्यूमान पीपुल टू पीपुल इंडिया एनजीओ के चार सदस्य अनुबंध खत्म हो जाने से अगस्त से साथ छोड़कर खंडवा चले गए। डी.एल.एड. के 100 से ज्यादा छात्रों को पढ़ाना, कार्यालयीन कामकाज निपटाना अब सिर्फ पांच स्टाफ सदस्यों के भरोसे है। वहीं जिलेभर के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले दो हजार से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षण देना चुनौती बन गया है। गिने-चुने प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनरों व सेवानिवृत्त शिक्षकों के बिना ये काम संभव नहीं बचा। संस्था प्राचार्य का भी पद खाली है।
अगले साल एक सदस्य हो जाएंगे रिटायर
डाइट प्रबंधन के अनुसार अकादमिक/शैक्षणिक कार्य से जुड़े 17 में से 12 पद खाली हैं। संस्था के प्रभारी प्राचार्य डी.डी. देशमुख, व्याख्याता बालेंद्र श्रीवास्तव, योगेश उपाध्याय, सुनील तिवारी, एम.जे. कुरैशी काम देख रहे हैं। भानुप्रतापसिंह तोमर अस्वस्थता के कारण 31 अक्टूबर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उपाध्याय अगले साल मई में रिटायर हो जाएंगे। फिर यहां सिर्फ चार सदस्य ही बचेंगे। कुरैशी भी प्रति नियुक्ति पर हैं।
एनजीओ सदस्यों के होने से राहत थी- नेसेसरी टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत यहां आए एनजीअो के सदस्यों के डाइट में रहने से राहत थी। ये सदस्य डी.एल.एड. प्रथम, द्वितीय वर्ष के छात्रों की पूरी पढ़ाई सहित अन्य एक्टिविटी में मददगार बनते थे। 3 साल 8 माह तक यहां रहने के बाद चार सदस्यों का सहारा एकसाथ छूटने से हालात और बिगड़ गए।
स्थानीय स्तर से भी बेहतर सहारा नहीं- डाइट प्रबंधन के अनुसार स्टाफ की ज्यादा कमी से स्थानीय स्तर पर अध्यापक व व्याख्याता संवर्ग में एम.एड./एम.ए. एजुकेशन पात्रताधारकों से आवेदन मंगाए गए। इनके आवेदनों के आधार पर चयन सूची बनाकर कलेक्टर के अनुमोदन के बाद राशिकें से स्वीकृत कराने के प्रयास किए जाने हैं, लेकिन जो कुछ आवेदन आए, वे इच्छित गुणवत्तानुरूप नहीं।
स्टाफ की कमी से समस्या तो आई है
संस्था के शैक्षणिक महकमे में स्टाफ की पहले से कमी है। एनजीओ के चार सदस्य भी अगस्त से अन्यत्र जा चुके हैं। समस्या तो बड़ी है। स्थानीय स्तर से कुछ विकल्प तलाश रहे हैं। राशिकें से स्वीकृति मिलती है तो व्यवस्थाएं आगे सुचारू रहेंगी। डी.डी. देशमुख, प्रभारी प्राचार्य, डाइट
अनुबंध की सीमा खत्म
शाजापुर डाइट में हमारी संस्था के चार सदस्य कार्यरत थे। तीन साल की अनुबंध समय सीमा खत्म हो जाने से हमारी संस्था के वहां कार्यरत सभी सदस्य अब खंडवा स्थानांतरित हो गए हैं। समयसिंह यादव, टीम लीडर, एचपीपीआई
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तीन साल से संस्था में मददगार बन रहे ह्यूमान पीपुल टू पीपुल इंडिया एनजीओ के चार सदस्य अनुबंध खत्म हो जाने से अगस्त से साथ छोड़कर खंडवा चले गए। डी.एल.एड. के 100 से ज्यादा छात्रों को पढ़ाना, कार्यालयीन कामकाज निपटाना अब सिर्फ पांच स्टाफ सदस्यों के भरोसे है। वहीं जिलेभर के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले दो हजार से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षण देना चुनौती बन गया है। गिने-चुने प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनरों व सेवानिवृत्त शिक्षकों के बिना ये काम संभव नहीं बचा। संस्था प्राचार्य का भी पद खाली है।
अगले साल एक सदस्य हो जाएंगे रिटायर
डाइट प्रबंधन के अनुसार अकादमिक/शैक्षणिक कार्य से जुड़े 17 में से 12 पद खाली हैं। संस्था के प्रभारी प्राचार्य डी.डी. देशमुख, व्याख्याता बालेंद्र श्रीवास्तव, योगेश उपाध्याय, सुनील तिवारी, एम.जे. कुरैशी काम देख रहे हैं। भानुप्रतापसिंह तोमर अस्वस्थता के कारण 31 अक्टूबर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उपाध्याय अगले साल मई में रिटायर हो जाएंगे। फिर यहां सिर्फ चार सदस्य ही बचेंगे। कुरैशी भी प्रति नियुक्ति पर हैं।
एनजीओ सदस्यों के होने से राहत थी- नेसेसरी टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत यहां आए एनजीअो के सदस्यों के डाइट में रहने से राहत थी। ये सदस्य डी.एल.एड. प्रथम, द्वितीय वर्ष के छात्रों की पूरी पढ़ाई सहित अन्य एक्टिविटी में मददगार बनते थे। 3 साल 8 माह तक यहां रहने के बाद चार सदस्यों का सहारा एकसाथ छूटने से हालात और बिगड़ गए।
स्थानीय स्तर से भी बेहतर सहारा नहीं- डाइट प्रबंधन के अनुसार स्टाफ की ज्यादा कमी से स्थानीय स्तर पर अध्यापक व व्याख्याता संवर्ग में एम.एड./एम.ए. एजुकेशन पात्रताधारकों से आवेदन मंगाए गए। इनके आवेदनों के आधार पर चयन सूची बनाकर कलेक्टर के अनुमोदन के बाद राशिकें से स्वीकृत कराने के प्रयास किए जाने हैं, लेकिन जो कुछ आवेदन आए, वे इच्छित गुणवत्तानुरूप नहीं।
स्टाफ की कमी से समस्या तो आई है
संस्था के शैक्षणिक महकमे में स्टाफ की पहले से कमी है। एनजीओ के चार सदस्य भी अगस्त से अन्यत्र जा चुके हैं। समस्या तो बड़ी है। स्थानीय स्तर से कुछ विकल्प तलाश रहे हैं। राशिकें से स्वीकृति मिलती है तो व्यवस्थाएं आगे सुचारू रहेंगी। डी.डी. देशमुख, प्रभारी प्राचार्य, डाइट
अनुबंध की सीमा खत्म
शाजापुर डाइट में हमारी संस्था के चार सदस्य कार्यरत थे। तीन साल की अनुबंध समय सीमा खत्म हो जाने से हमारी संस्था के वहां कार्यरत सभी सदस्य अब खंडवा स्थानांतरित हो गए हैं। समयसिंह यादव, टीम लीडर, एचपीपीआई
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