सरकार द्वारा पहली बार अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों के लिए लाई गई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत प्रदेश के 51 जिलों के 10 हजार शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किए थे। करीब एक साल तक चली तबादला प्रक्रिया के बाद 16 अप्रेल सोमवार से सभी शिक्षकों को अपने जिला शिक्षा कार्यालय पहुंचकर ट्रांसफर हुए जिले के लिए वर्तमान जिले से कार्यमुक्त होने की प्रक्रिया शुरू करना था। मगर अचानक पहुंचे आयुक्त नीरज दुबे के आदेशों ने इस प्रक्रिया पर विराम लग गया और 8 दिन निकल जाने के बाद भी कोई निर्णय रिलीविंग का अब तक न आ पाने से शिक्षकों में नाराजगी है। इससे पहले भी जिले में जिला शिक्षा कार्यालय से पदांकन आदेश जारी करने में विलंब किया था।
शिक्षकों की बताई कमी : आयुक्त लोक शिक्षण नीरज दुबे ने अपने आदेश में कहा है कि अध्यापक संवर्ग के एक जिले से दूसरे जिले के लिए की गई ट्रांसफर प्रक्रिया के संबंध में आयुक्त जनजातीय कार्य विकास मप्र ने आदेश जारी कर कहा है कि शिक्षकों की कमी से आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित शालाओं के शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं करने के आदेश जारी किए गए हैं। इसी आदेश के कारण आयुक्त ने आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित शालाओं से ट्रांसफर हुए शिक्षकों के अलावा अन्य शिक्षकों के ट्रांसफर के बाद उनके कार्यमुक्त होने के आदेश पर भी रोक लगा दी है।
ग्वालियर संभाग में दो हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित
आदेश से सिर्फ ग्वालियर संभाग के सभी जिलों में मिलाकर 2 हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। इन शिक्षकों के साथ ही इनके परिजन पर भी इस आदेश का प्रभाव साफतौर पर नजर आ रहा है। साथ ही इसका असर वर्ग दो व तीन के अध्यापकों के ट्रांसफर पर भी पड़ेगा।
शिक्षक संघों का तर्क सभी को रोकने का औचित्य नहीं
मामले में राज्य अध्यापक संघ के रामकृष्ण रघुवंशी,संभागीय उपाध्यक्ष और पूजा शर्मा जिला संयोजक ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।उन्होंने कहा आदिवासी विकास विभाग के तहत आने वाली शालाओं को छोड़कर शेष शालाओं के शिक्षकों को रिलीव करना चाहिए। अध्यापक वर्षों से परिवार से दूर हैं। ऐसे में अब उन्हें परिवार के साथ रहने का मौका देना चाहिए।
कई शिक्षक ऐसे जो परिवार से दूर हैं
अध्यापक संवर्ग में भर्ती के बाद सरकार ने पहली बार अध्यापकों के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू की। इसमें सरकार ने पुरुषों के लिए कम से कम पांच साल की सेवाएं जरूरी रखी है। इसके अलावा भी कई मापदंडों से गुजरने और एक साल तक प्रक्रिया पूरी करने के बाद अध्यापकों को यह मौका मिला था। मगर उनके अपने गृह जिले के लिए कार्यमुक्त होने की चंद मिनट पहले जारी हुए एक आदेश ने उनके इंतजार को फिर बढ़ा दिया। और 8 दिन बाद भी विभाग अब भी रिलीव न करने के निर्णय पर डटा है जिससे राज्य अध्यापक संघ सहित शिक्षक संगठनों में नाराजगी है।
इन्होंने दिया ज्ञापन
राज्य अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष स्नेह सिंह रघुवंशी,राहिला आसिफ,यादवेंद्र चौधरी,प्रदीप अवस्थी,ब्रजेंद्र भार्गव,कपिल पचौरी,रामकृष्ण रघुवंशी,परवेज खान,अतुल श्रीवास्तव,अनिल अहिरवार,जितेंद्र शर्मा,दीपक मांझी,विनय रावत,अविनाश शर्मा,अंगद सिंह तोमर,रामेश्वर गुप्ता,प्रमोद श्रीवास्तव,राघवेंद्र रघुवंशी ने डिप्टी कलेक्टर एल के पांडेय को ज्ञापन दिया।
ज्ञापन देकर जताया विरोध
घर से बाहर पदस्थ शिक्षक और शिक्षिकाओं ने पूरी एक साल की प्रक्रिया स्थानांतरण के लिए लगा दी। कभी ऑनलाइन,कभी चॉइस फिलिंग,कभी पदांकन आदेश तो कभी कुछ और परेशानी। लंबी परेशानी के बाद जब शिक्षकों के रिलीविंग की प्रक्रिया आई तो उसे लोक शिक्षण आयुक्त के बाद रोक दिया गया। जब ऐसा करना ही था तो पदांकन आदेश ही क्यों जारी किए गए। अब रिलीविंग में अटका दिया है। सोमवार को हमने इस संबंध में एक ज्ञापन देकर अपना विरोध जताया है। राम कृष्ण रघुवंशी,संभागीय उपाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ