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अतिथि शिक्षक बोले- फिर से सेवा में नहीं रखा तो करेंगे आत्महत्या, डीईओ बोले, देर हो चुकी, अब कुछ नहीं होगा

भास्कर संवाददाता | दमोह सीएम के कार्यक्रम में नारेबाजी करने पर हटाए गए अतिथि शिक्षक सोमवार को डीईओ कार्यालय पहुंचे।
उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम डीईओ पीपी सिंह को आवेदन देकर सेवा समाप्ति का आदेश वापस लेने का आग्रह किया। मगर डीईओ बोले, यह कार्रवाई कमिश्नर के आदेश पर हुई है, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं।

असहाय महसूस कर रहे शिक्षक: अतिथि शिक्षकों ने कहा कि जिस प्रकार कार्रवाई से सभी अतिथि शिक्षक अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं। सेवाएं समाप्त होने के बाद हम लोग अपने परिवार का भरण-पोषण कैंसे करेंगे। अतिथि शिक्षक इमाम ने कहा कि हम लोग वैसे ही सालों से न्यूनतम मानदेय पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हम लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, इसीलिए सालों से शासन-प्रशासन के समक्ष अपनी मांगों को लेकर धरना, प्रदर्शन व नारेबाजी करते रहते हैं, लेकिन शासन द्वारा हमारी मांगों को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हम लोगों से जो गलती हो गई है, उसके लिए सभी क्षमाप्रार्थी हैं। मुख्यमंत्री हमारी बातों पर ध्यान न देकर हम लोगों को पुन: सेवा में लें, ताकि हम अपने परिवार की जीविका चला सकें। अतिथि शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि यदि इसके बावजूद भी हम लोगों को पुन: सेवा में नहीं लिया गया तो हम लोगों को आत्महत्या के सिवाए और कोई विकल्प नहीं रहेगा। ज्ञापन सौंपने वालों में अभिषेक प्रजापति, संदीप कुडेरिया, अभिषेक सेन सहित अन्य अतिथि शिक्षक मौजूद थे।

मुख्यमंत्री के भाषण में डाला था खलल

गौरतलब है कि 12 अप्रेल को तहसील ग्राउंड पर आयोजित अंत्योदय मेला के दौरान अतिथि शिक्षकों द्वारा मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान नारेबाजी की थी। जिससे मुख्यमंत्री ने नाराज होकर कहा था कि इस तरह प्रदर्शन करोगे तो कभी अतिथि शिक्षक नहीं बन पाओगे, जीवन भर ऐसे ही रहोगे। सीएम द्वारा अतिथि शिक्षकों पर जताई गई नाराजगी को अधिकारियों ने गंभीरता से लिया। और सभी अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।

अब कुछ नहीं हो सकता

देखिए अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश कमिश्नर से प्राप्त हुए थे। मैं कुछ नहीं कर सकता। अब इस मामले में कुछ नहीं हो सकता। - पीपी सिंह, प्रभारी डीईओ, दमोह

मुख्यमंत्री के भाषण में डाला था खलल

गौरतलब है कि 12 अप्रेल को तहसील ग्राउंड पर आयोजित अंत्योदय मेला के दौरान अतिथि शिक्षकों द्वारा मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान नारेबाजी की थी। जिससे मुख्यमंत्री ने नाराज होकर कहा था कि इस तरह प्रदर्शन करोगे तो कभी अतिथि शिक्षक नहीं बन पाओगे, जीवन भर ऐसे ही रहोगे। सीएम द्वारा अतिथि शिक्षकों पर जताई गई नाराजगी को अधिकारियों ने गंभीरता से लिया। और सभी अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।

मुख्यमंत्री के भाषण में डाला था खलल

गौरतलब है कि 12 अप्रेल को तहसील ग्राउंड पर आयोजित अंत्योदय मेला के दौरान अतिथि शिक्षकों द्वारा मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान नारेबाजी की थी। जिससे मुख्यमंत्री ने नाराज होकर कहा था कि इस तरह प्रदर्शन करोगे तो कभी अतिथि शिक्षक नहीं बन पाओगे, जीवन भर ऐसे ही रहोगे। सीएम द्वारा अतिथि शिक्षकों पर जताई गई नाराजगी को अधिकारियों ने गंभीरता से लिया। और सभी अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। 

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