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बोर्ड परीक्षा को ही अपनी ड्यूटी मान रहे शिक्षक, स्कूलों में बिगड़ी पढ़ाई व्यवस्था

सीहोर। बोर्ड परीक्षा में लगे शिक्षक परीक्षा को ही अपनी ड्यूटी मान रहे हैं। परीक्षा के बाद या पेपर गेप्स में यह शिक्षक स्कूल नहीं जा रहे हैं। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण स्कूलों में पढ़ाई चौपट हो रही है। जबकि मार्च के अंतिम सप्ताह में लोकल परीक्षा होना है।


शिक्षकों की यह लापरवाही बच्चों के रिजल्ट पर देखी जा सकती है। जबकि बोर्ड परीक्षा का शिक्षकों को अतिरिक्त मानदेय मिलता है। राज्य शिक्षा केन्द्र ने निर्देशित किया है कि परीक्षा के बाद शिक्षक अपनी शालाओं में शिक्षण के िलए पहुंचें। बोर्ड परीक्षा में प्राथमिक तथा माध्यमिक शालाओं के जिन शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगाई गई है, उनमें अधिकांश बोर्ड परीक्षा उपरांत या परीक्षा गेप्स में अपनी शालाओं में नहीं पहुंच रहे हैं। इससे इन शालाओं के बच्चे शाला में शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण मार्च के अंतिम सप्ताह में होने वाली परीक्षा की पूर्व तैयारी एवं अपूर्ण दक्षताओं को पूर्ण नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षकों की अनुपस्थिति का एक लंबा गेप भी इन बच्चों की शालाओं में अनुपस्थिति का कारण बन रहा है।

एक्जाम कराने के बाद स्कूल पहुंचे शिक्षक
डीपीसी सीबी तिवारी ने राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देशों का हवाला देते हुए बीईओ, संकुल प्राचार्य, बीआरसी, जनशिक्षा केन्द्र प्रभारियों निर्देशित किया है। शिक्षकों की बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी उनके कार्यस्थल मुख्यालय से आठ किलोमीटर की परिधि में ही लगाई जाए तथा उन्हें निर्देशित करें कि वे परीक्षा के बाद एक बजे और परीक्षा गेप्स में पूर्ण दिवस अनिर्वाय रूप से अपनी शाला में शिक्षण के लिए पहुंचे।

बोर्ड परीक्षा का मिलता है अतिरिक्त मानदेय

डीपीसी ने बताया कि बोर्ड परीक्षा का शिक्षकों को अतिरिक्त कार्य के रूप में मानदेय प्राप्त होता है। यदि शिक्षक शाला में अनुपस्थित पाएं जाते हैं तथा इस कारण उन पर कार्रवाई की जाएगी।

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