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50 हजार 513 बच्चे शिक्षा पाने से वंचित

झाबुआ. जिले का साक्षरता प्रतिशत लंबे समय से 33-35 प्रतिशत के बीच बना हुआ है। वर्तमान में जिले के 6 से 18 वर्ष तक के 50 हजार 513 बच्चे शिक्षा पाने से दूर हैं। साक्षरता प्रतिशत आगे न बढऩे का सबसे बड़ा कारण प्रतिवर्ष जिले से शिक्षा सत्र के बीच होने वाला पलायन है।



पलायन करने वाले ग्रामीण अपने बच्चों को भी साथ ले जाते हैं। जबकि हर साल जिले में पलायन छात्रावास खोले जाने राशि आवंटित की जाती है, लेकिन समय निकलने के बाद भी इसकी सूची तक नहीं बन पाती। पलायन छात्रावास खुलने के पहले ही 80 फीसदी बच्चे स्कूल छोड़कर अपने माता-पिता के साथ बाहर जा चुके होते हैं। इन दिनों स्कूलों में बच्चों की संख्या नगण्य है। ग्राम फुटिया की नवीन प्राथमिक शाला में कक्षा 1 से 3 में 67 व कक्षा 4-5 में 31 बच्चे दर्ज हैं। इनमें से 24 बच्चे अपने माता-पिता के साथ पलायन पर जा चुके हैं। जो बचे हैं उनमें से भी नाममात्र के बच्चे स्कूल आ रहे हैं। इस विद्यालय में नियमित शिक्षक नहीं हैं। दो अतिथि शिक्षक है। वही बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जानकारी भी भेज रहे हैं। इसी ग्राम के स्कूल फलिए में बने प्राथमिक विद्यालय में 143 बच्चे दर्ज हैं। यहां पर भी नाममात्र के बच्चे स्कूल आ रहे हैं।
जिले में शिक्षा की स्थिति एक सिक्के के दो पहलू के समान है। कहीं सभी सुविधाएं मिलने के बाद भी शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में लापरवाही बरती जा रही है तो कहीं अभावों के बीच भी शिक्षक बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ग्राम बामनसेमलिया, कुंडला, पानकी, कुशलपुरा आदि क्षेत्रों में नियमित विद्यालय नहीं खुलते। शिक्षक पदस्थ होते हुए भी विद्यालय नहीं आते। इससे उक्त क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए दूसरे स्कूल या शहर में आना पड़ रहा है। वहीं सुविधाओं के अभाव में भी एक्सीलेंस स्कूल तलावली (इस शिक्षा सत्र में हाईस्कूल का दर्जा प्राप्त) में बच्चों को शिक्षा के साथ ही खेलों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। यहां कक्षा 6 से 9 में 203 बच्चे दर्ज हैं। जो प्रतिदिन स्कूल आ रहे हैं। शिक्षकों ने बच्चों के लिए स्कूल में लायब्रेरी बना रखी है। इसकी जिम्मेदारी छात्राओं को सौंपी है। जो पुस्तक लेने वाले छात्रों के नाम लिखकर उन्हें पुस्तक देती हैं और पढऩे के बाद उसे जमा भी करती हैं।

स्कूल में कबड्डी, बैडमिंटन, गिल्ली-डंडा, क्रिकेट, खो-खो, केरम के योग का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस दिनों यहां के 12 बच्चे भोपाल आेिलंपियाड का प्रशिक्षण लेने के लिए गए हैं। पूर्व में यहां के विद्यार्थी योगा स्पर्धा में भाग लेने के लिए दिल्ली गए थे। शिक्षा विभाग से आज तक इन बच्चों को ले जाने का किराया तक वहन नहीं किया। स्कूल में शिकायत पेटी लगाई गई है। बच्चे स्कूल लगने और छुट्टी होने के समय शिक्षकों को नमस्कार करने की बजाय वंदे मातरम् का संबोधन करते हैं।

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