मध्यप्रदेश। राज्य के हजारों शिक्षकों ने प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता बहाल करने की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। राज्य शिक्षक संघ के नेतृत्व में यह आंदोलन जिला और संभाग स्तर पर किया जाएगा। शिक्षकों का कहना है कि लंबे समय से लंबित यह मांग अब सेवाकाल और सेवानिवृत्ति लाभों को सीधे प्रभावित कर रही है।
📌 क्या है शिक्षकों की मुख्य मांग?
शिक्षक संघ की प्रमुख मांग है कि—
-
प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता का लाभ दिया जाए
-
संविलियन के बाद हुई विसंगतियों को दूर किया जाए
-
सेवा अवधि को वास्तविक रूप से मान्यता मिले
संघ का कहना है कि 1995 से 2006 के बीच नियुक्त कई शिक्षकों को आज भी उनकी वास्तविक वरिष्ठता नहीं मिल पाई है।
⚠️ वरिष्ठता नहीं मिलने से क्या नुकसान?
वरिष्ठता तय न होने से शिक्षकों को—
-
पदोन्नति में नुकसान
-
वेतनमान और क्रमोन्नति में देरी
-
पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में कमी
जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
📅 आंदोलन की रूपरेखा
राज्य शिक्षक संघ ने जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन और
मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की घोषणा की है।
संघ ने साफ कहा है कि यदि मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
🧑🏫 ई-अटेंडेंस भी बना बड़ा मुद्दा
आंदोलन के दौरान शिक्षक संघ ने ई-अटेंडेंस की अनिवार्यता पर भी नाराजगी जताई है। शिक्षकों का कहना है कि तकनीकी समस्याओं और दबाव के कारण यह व्यवस्था व्यावहारिक कठिनाइयां पैदा कर रही है।
🎓 शिक्षा व्यवस्था पर असर
शिक्षकों का मानना है कि वरिष्ठता विवाद और प्रशासनिक असंतोष का सीधा असर
-
विद्यालयों की कार्यप्रणाली
-
शिक्षकों के मनोबल
-
और शैक्षणिक गुणवत्ता
पर पड़ रहा है। वे सरकार से न्यायसंगत और स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।
🔥 सरकार पर बढ़ता दबाव
प्रदेशव्यापी आंदोलन के ऐलान के बाद शिक्षा विभाग और सरकार पर दबाव बढ़ गया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह लड़ाई सम्मान, अधिकार और न्याय की है, जिसे किसी भी हाल में पीछे नहीं हटाया जाएगा।