21 जून को लोक शिक्षण संचालनालय मप्र आयुक्त ने डीईओ को कि ए थे निर्देश जारी
जिले भर में 2 हजार शासकीय स्कू ल, 100 से अधिक शिक्षक अन्य विभागों में अटैच
फोटो 3 सीहोर। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय। नवदुनिया
सीहोर। ग्रामीण क्षेत्र के स्कू लों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए मप्र शासन ने जिला जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए थे कि 24 जून प्रवेशोत्सव शुरू होने से पहले शहरी क्षेत्र में अटैच शिक्षकों को उनके मूल संस्थान भेजे जाएं। साथ ही मूल संस्था में नहीं पहुंचने तक उनका वेतन नहीं दिया जाए। साथ ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं, लेकि न हालत यह है कि कलेक्ट्रेट, डीईओ, डीपीसी, राजस्व सहित अन्य कार्यालयों में अभी भी 100 से अधिक शिक्षक पदस्थ है, जिन्हें समय रहते नहीं हटाया गया। इससे शासकीय
स्कू लों में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
उल्लेखनीय है कि जिले में 2 हजार से अधिक स्कू ल है, जिसमें से कई स्कू लों के करीब 200 शिक्षक बच्चों को पढ़ाई कराने की जगह बाबूगिरी कर रहे हैं। इसको लेकर हर साल लोक शिक्षण संचालनालय गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को मूल संस्था में भेजने के निर्देश जारी करता है, लेकि न जिला प्रशासन व डीईओ इन आदेशों को दरकि नार कर देते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र के कई सकू लों में पढ़ाई प्रभावित होती है। हाल ही में 21 जून को लोक शिक्षण संचालनालय मप्र आयुक्त ने डीईओ को निर्देश जारी कि ए थे कि 24 जून तक अटैचमेंट खत्म कर शिक्षकों को मूल संस्था भेजा जाए, लेकि न जिला शिक्षा अधिकारी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
हर साल होते हैं आदेश
शासन द्वारा गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को हर साल मूल संस्था में भेजने के निर्देश जारी कि ए जाते हैं, लेकि न डीईओ इसकी अनदेखी करते आ रहे हैं। यही कारण है कि 20 से 30 साल तक बीतने के बाद भी शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य में लगे हुए हैं, जिन्हें हटाने की जहमत नहीं की। क्योंकि इसमें वरिष्ठ अधिकारियों को भी संरक्षण प्राप्त है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्कू ल शिक्षक विहीन है और शहरों में अटैच होकर शिक्षक बाबूगिरी कर रहे हैं।
धूल खा रहे कई शिक्षकों के प्रकरण
इतना ही नहीं जो शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य में लगे हैं, उनके प्रकरण तो निपट जाते है, लेकि न मूल संस्था में कार्य कर रहे और सेवा निवृत्त की के करीब पहुंच चुके शिक्षकों के प्रकरण अभी भी डीईओ कार्यालय में धूल खा रहे हैं। खास बात यह है कि शिक्षा विभाग मंशा थी कि शिक्षकों के लंबित प्रकरणों का ब्लाक व जिला स्तर पर समस्या निवारण शिविर आयोजित कर त्वरित निराकरण कराया जाए, लेकि न जिले में पिछले शिक्षण सत्र में समस्या निवारण शिविर में आए प्रकरण अभी भी लंबित हैं। क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी शिक्षकों के समस्या निराकरण में दिलचस्पी न होकर अन्य प्रकरणों में ज्यादा फायदे नजर आ रहे हैं, जिनका देर रात तक कार्यालय में निराकरण कि या जाता है।
विभागीय वीडियो कान्फ्रेंसिंग में यह दिए निर्देश
- कलेक्टर व सीईओ जिला पंचायत से निम्न स्तर के अधिकारी के आदेश द्वारा यदि कोई शिक्षक गैर-शैक्षणिक कार्य में लगे हों तो डीईओ उन्हें स्वयं के आदेश से तत्काल वापस बुलाकर विद्यालय में पढ़ाने के लिए भेज दें।
-संबंधित शिक्षक द्वारा उक्त आदेश का पालन कि ए जाने पर ही उनका वेतन आहरित कि या जाए।
-कलेक्टर व सीईओ के आदेश द्वारा गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को एतद् विषयक शासन निर्देश व स्थानांतरण नीति के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कार्यमुक्त करने का आग्रह कर नोटशीट प्रस्तुत करें।
-कलेक्टर
व सीईओ स्तर से सकारात्मक आदेश प्राप्त न होने की स्थिति में स्वयंपूर्ण
टीप सहित एकल नस्ती पर प्रकरण संचालक व आयुक्त को प्रस्तुत करना सुनिश्चित
करें।
-यदि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाया गया है, तो उन्हें भी तत्काल उनके विद्यालय के लिए कार्यमुक्त करें। उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन कि या जाए।
जिले भर में 2 हजार शासकीय स्कू ल, 100 से अधिक शिक्षक अन्य विभागों में अटैच
फोटो 3 सीहोर। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय। नवदुनिया
सीहोर। ग्रामीण क्षेत्र के स्कू लों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए मप्र शासन ने जिला जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए थे कि 24 जून प्रवेशोत्सव शुरू होने से पहले शहरी क्षेत्र में अटैच शिक्षकों को उनके मूल संस्थान भेजे जाएं। साथ ही मूल संस्था में नहीं पहुंचने तक उनका वेतन नहीं दिया जाए। साथ ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं, लेकि न हालत यह है कि कलेक्ट्रेट, डीईओ, डीपीसी, राजस्व सहित अन्य कार्यालयों में अभी भी 100 से अधिक शिक्षक पदस्थ है, जिन्हें समय रहते नहीं हटाया गया। इससे शासकीय
उल्लेखनीय है कि जिले में 2 हजार से अधिक स्कू ल है, जिसमें से कई स्कू लों के करीब 200 शिक्षक बच्चों को पढ़ाई कराने की जगह बाबूगिरी कर रहे हैं। इसको लेकर हर साल लोक शिक्षण संचालनालय गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को मूल संस्था में भेजने के निर्देश जारी करता है, लेकि न जिला प्रशासन व डीईओ इन आदेशों को दरकि नार कर देते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र के कई सकू लों में पढ़ाई प्रभावित होती है। हाल ही में 21 जून को लोक शिक्षण संचालनालय मप्र आयुक्त ने डीईओ को निर्देश जारी कि ए थे कि 24 जून तक अटैचमेंट खत्म कर शिक्षकों को मूल संस्था भेजा जाए, लेकि न जिला शिक्षा अधिकारी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
शासन द्वारा गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को हर साल मूल संस्था में भेजने के निर्देश जारी कि ए जाते हैं, लेकि न डीईओ इसकी अनदेखी करते आ रहे हैं। यही कारण है कि 20 से 30 साल तक बीतने के बाद भी शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य में लगे हुए हैं, जिन्हें हटाने की जहमत नहीं की। क्योंकि इसमें वरिष्ठ अधिकारियों को भी संरक्षण प्राप्त है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्कू ल शिक्षक विहीन है और शहरों में अटैच होकर शिक्षक बाबूगिरी कर रहे हैं।
इतना ही नहीं जो शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य में लगे हैं, उनके प्रकरण तो निपट जाते है, लेकि न मूल संस्था में कार्य कर रहे और सेवा निवृत्त की के करीब पहुंच चुके शिक्षकों के प्रकरण अभी भी डीईओ कार्यालय में धूल खा रहे हैं। खास बात यह है कि शिक्षा विभाग मंशा थी कि शिक्षकों के लंबित प्रकरणों का ब्लाक व जिला स्तर पर समस्या निवारण शिविर आयोजित कर त्वरित निराकरण कराया जाए, लेकि न जिले में पिछले शिक्षण सत्र में समस्या निवारण शिविर में आए प्रकरण अभी भी लंबित हैं। क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी शिक्षकों के समस्या निराकरण में दिलचस्पी न होकर अन्य प्रकरणों में ज्यादा फायदे नजर आ रहे हैं, जिनका देर रात तक कार्यालय में निराकरण कि या जाता है।
- कलेक्टर व सीईओ जिला पंचायत से निम्न स्तर के अधिकारी के आदेश द्वारा यदि कोई शिक्षक गैर-शैक्षणिक कार्य में लगे हों तो डीईओ उन्हें स्वयं के आदेश से तत्काल वापस बुलाकर विद्यालय में पढ़ाने के लिए भेज दें।
-कलेक्टर व सीईओ के आदेश द्वारा गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को एतद् विषयक शासन निर्देश व स्थानांतरण नीति के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कार्यमुक्त करने का आग्रह कर नोटशीट प्रस्तुत करें।
-यदि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाया गया है, तो उन्हें भी तत्काल उनके विद्यालय के लिए कार्यमुक्त करें। उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन कि या जाए।