शासकीय शिक्षकों द्वारा स्कूली छात्र छात्राओं का ट्यूशन लेकर कर्मचारी
आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे है। प्रशासन ऐसे ट्यूशन खोर शिक्षकों पर
कार्रवाई करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
हम चाहते है या तो शिक्षकों
से प्रशासन द्वारा इस आशय के शपथ पत्र भरवाए जिसमें कहीं वह ट्यूशन पढ़ाते
मिले तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएं। और यदि ऐसा नहीं कर सकते तो फिर
शिक्षकों को विधिवत ट्यूशन पढ़ाने की अनुमति मिले। यह मांग पालक संघ ने
एसडीएम एल के पांडेय को सौंपे ज्ञापन में कही।
पालक संघ के मनोज गौतम,सत्येंद्र श्रीवास्तव का कहना था कि जिले में
शासकीय शिक्षक अपनी अपनी ट्यूशन क्लास चलाते है,जबकि शासकीय शिक्षक होने के
नाते यह सब प्रतिबंधित है,बावजूद इसके प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता।
अभी नया सत्र शुरु हो रहा है और यदि ऐसे में शिक्षकों पर अभी रोक लग जाए तो
इनके यहां ट्यूशन पढ़ने जाने वाले बच्चों का भविष्य बाद में नहीं बिगड़ेगा।
क्योंकि बीच में कोर्स छूटेगा तो कार्रवाई होने पर बच्चों का नुकसान होगा
क्योंकि बीच का कोर्स छूटेगा और वह फीस पहले ही पूरी दे चुके है। इसलिए
ट्यूशन पर प्रतिबंध लगाएं। शिक्षकों से प्रशासन शपथ पत्र भरवाएं कि वे
ट्यूशन नहीं पढ़ाते है और छापामार कार्रवाई कर यदि वह ट्यूशन पढ़ाते मिले तो
उनकी सेवाएं समाप्त करने की कार्रवाई हो। इसके उलट इन शिक्षकों को यदि आप
अनुमति देते हो तो उसकी फीस की रसीद छात्र को दी जाए ताकि अर्जित ट्यूशन
फीस की आय से सरकार को आयकर की प्राप्ति हो। इस पर एसडीएम ने कार्रवाई का
आश्वासन दिया। और जब पालक संघ ने कार्रवाई कब तक करेंगे यह पूछा तो एसडीएम
एल के पांडे बोले कि एक माह बाद आप संपर्क करें।
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