सुबह 10.30 बजे के बाद पहुंचते तो डलती गैरहाजिरी
यदि ई-अटेंडेंस सिस्टम प्रभावी हो जाता तो जिला शिक्षा अधिकारी,
संयुक्त संचालक, जिला परियोजना समन्वयक और शिक्षकों को रोजाना 10.30 दफ्तर
या स्कूल पहुंचना पड़ता। पहुंचने के तत्काल बाद अपने मोबाइल में एम
शिक्षामित्र एप पर क्लिक करना पड़ता।
अन्यथा उनकी गैरहाजिर दर्शा दी जाती।
इतना ही नहीं शाम को 5 बजे घर जाने के पहले भी एप पर क्लिक करना होता।
कर्मचारी को अपने यूनिक आईडी व पासवर्ड से लिंक करने की बाध्यता रखी गई थी।
बच्चों की प्रोफाइल भी एप में मिलेगी:एप में बच्चों की
प्रोफाइल, नामांकन, शिक्षक, बच्चों की उपस्थिति, लोकेशन, अधोसंरचना आदि की
जानकारी आसानी से मिलती। एप से ही पे-स्लिप, अवकाश आवेदन, ई-सर्विस,
शिकायत, छात्रवृत्ति, साइकिल वितरण, ट्रेनिंग मान्यता, आरटीई के तहत ऑनलाइन
दाखिले सहित सभी जानकारी ले सकते थे।
शिक्षकों के दबाव में शिवराज सरकार ने पलटा फैसला
राजीव रंजन श्रीवास्तव | टीकमगढ़
लंबे समय से परेशान हो रहे शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। शिवराज सरकार
ने एम शिक्षा मित्र से हाजिरी लगाने की अनिवार्यता को फिलहाल स्थगित कर
दिया है। अन्यथा सोमवार से नए शिक्षण सत्र की शुरुआत से ही शिक्षकों को
मोबाइल एप से हाजिरी देना पड़ती।
शिक्षा विभाग का पूरा ताना-बाना बदले अंदाज में नजर आया। सरकार ने 2
अप्रैल से शिक्षकों को मोबाइल एप से हाजिरी लगाना जरुरी कर दिया था। इससे
कई शिक्षक पशोपेश में थे। शिक्षक से लेकर अधिकारी व कर्मचारियों को भी ई,
अटेंडेंस के दायरे में लिया गया था। इसके तहत इन सभी को स्कूल या दफ्तर
पहुंचकर अपने रजिस्टर्ड स्मार्ट फोन से ही अटेंडेंस लगानी होती, क्योंकि ई,
अटेंडेंस के आधार पर ही उनका वेतन जनरेट होता। टीकमगढ़ जिले में 31 अप्रैल
तक 94 फीसदी शिक्षकों ने मोबाइल रजिस्टर्ड करा लिए थे। यानी 400 शिक्षक अभी
भी शेष रह गए थे।
इस संबंध में स्कूल शिक्षा मंत्रालय के उपसचिव ने आदेश भी जारी किए थे।
इसमें कहा गया था कि यदि किसी दूसरे के नाम रजिस्टर्ड फोन पर किसी दूसरे
ने ई, अटेंडेंस लगाई तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। एप में
जीपीएस है, जो संबंधित शिक्षक या कर्मचारी की लोकेशन ट्रेस करता। यदि
नेटवर्क नहीं मिलता तो लोकेशन ट्रेस नहीं मानी जाएगी। खास बात यह थी कि
स्कूल या दफ्तर से 5 किलोमीटर की परिधि के अंदर जीपीएस लोकेशन ट्रेस कर
लेता। यानी किसी शिक्षक का घर स्कूल से इसी दूरी पर है तो वह घर बैठे ही
अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता था। हालांकि यह बड़ी खामी थी
एप में कुछ खामियां थी, इस वजह पलटा फैसला :शिक्षकों का कहना है कि एप
में कुछ खामियां थीं। जिन शिक्षकों की पदांकित संस्था पोर्टल पर गलत अंकित
है तो उनकी अटेंडेंस लगने के बाद भी गैरहाजिर माना जाता। इसके अलावा जिन
इलाकों में नेटवर्क प्रॉब्लम है, वहां के शिक्षकों को खासी परेशानी उठानी
पड़ती। कई शिक्षक ऐसे भी हैं, जो रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े हैं। उन्हें इस
उम्र में एंड्रायड फोन चलाना टेड़ी खीर साबित हो रहा है। इसे लागू करने के
पहले शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाना चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था।
शिक्षक से लेकर डीईओ, डीपीसी, बीईओ, बीआरसी से लेकर सभी कर्मचारियों को ई,
अटेंडेंस लगाने कहा गया था। उपसचिव शिक्षा विभाग ने जारी आदेश में कहा था
कि ई, अटेंडेंस के लिए मोबाइल गवर्नेंस प्लेटफार्म पर एम शिक्षा मित्र एप
का नया वर्जन लांच किया गया है। एजुकेशन पोर्टल में उपलब्ध सभी सुविधाएं व
जानकारी इसी एप से मिल सकेगी।
ब्लॉकवार स्कूलों की संख्या
टीकमगढ़ - 479
बल्देवगढ़ - 455
जतारा - 483
निवाड़ी - 344
पलेरा - 433
पृथ्वीपुर - 406
शिक्षकों की संख्या - 7663
कितने शिक्षकों ने मोबाइल
नंबर अपग्रेड कराए - 7248
कितने शिक्षकों ने मोबाइल
नंबर अपग्रेड नहीं कराए - 400
शिक्षकों के दबाव में शिवराज सरकार ने पलटा फैसला
राजीव रंजन श्रीवास्तव | टीकमगढ़
लंबे समय से परेशान हो रहे शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। शिवराज सरकार
ने एम शिक्षा मित्र से हाजिरी लगाने की अनिवार्यता को फिलहाल स्थगित कर
दिया है। अन्यथा सोमवार से नए शिक्षण सत्र की शुरुआत से ही शिक्षकों को
मोबाइल एप से हाजिरी देना पड़ती।
शिक्षा विभाग का पूरा ताना-बाना बदले अंदाज में नजर आया। सरकार ने 2
अप्रैल से शिक्षकों को मोबाइल एप से हाजिरी लगाना जरुरी कर दिया था। इससे
कई शिक्षक पशोपेश में थे। शिक्षक से लेकर अधिकारी व कर्मचारियों को भी ई,
अटेंडेंस के दायरे में लिया गया था। इसके तहत इन सभी को स्कूल या दफ्तर
पहुंचकर अपने रजिस्टर्ड स्मार्ट फोन से ही अटेंडेंस लगानी होती, क्योंकि ई,
अटेंडेंस के आधार पर ही उनका वेतन जनरेट होता। टीकमगढ़ जिले में 31 अप्रैल
तक 94 फीसदी शिक्षकों ने मोबाइल रजिस्टर्ड करा लिए थे। यानी 400 शिक्षक अभी
भी शेष रह गए थे।
इस संबंध में स्कूल शिक्षा मंत्रालय के उपसचिव ने आदेश भी जारी किए थे।
इसमें कहा गया था कि यदि किसी दूसरे के नाम रजिस्टर्ड फोन पर किसी दूसरे
ने ई, अटेंडेंस लगाई तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। एप में
जीपीएस है, जो संबंधित शिक्षक या कर्मचारी की लोकेशन ट्रेस करता। यदि
नेटवर्क नहीं मिलता तो लोकेशन ट्रेस नहीं मानी जाएगी। खास बात यह थी कि
स्कूल या दफ्तर से 5 किलोमीटर की परिधि के अंदर जीपीएस लोकेशन ट्रेस कर
लेता। यानी किसी शिक्षक का घर स्कूल से इसी दूरी पर है तो वह घर बैठे ही
अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता था। हालांकि यह बड़ी खामी थी
एप में कुछ खामियां थी, इस वजह पलटा फैसला :शिक्षकों का कहना है कि एप
में कुछ खामियां थीं। जिन शिक्षकों की पदांकित संस्था पोर्टल पर गलत अंकित
है तो उनकी अटेंडेंस लगने के बाद भी गैरहाजिर माना जाता। इसके अलावा जिन
इलाकों में नेटवर्क प्रॉब्लम है, वहां के शिक्षकों को खासी परेशानी उठानी
पड़ती। कई शिक्षक ऐसे भी हैं, जो रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े हैं। उन्हें इस
उम्र में एंड्रायड फोन चलाना टेड़ी खीर साबित हो रहा है। इसे लागू करने के
पहले शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाना चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था।
शिक्षक से लेकर डीईओ, डीपीसी, बीईओ, बीआरसी से लेकर सभी कर्मचारियों को ई,
अटेंडेंस लगाने कहा गया था। उपसचिव शिक्षा विभाग ने जारी आदेश में कहा था
कि ई, अटेंडेंस के लिए मोबाइल गवर्नेंस प्लेटफार्म पर एम शिक्षा मित्र एप
का नया वर्जन लांच किया गया है। एजुकेशन पोर्टल में उपलब्ध सभी सुविधाएं व
जानकारी इसी एप से मिल सकेगी।
दो साल पहले भी लागू हुआ था, 15
दिन बाद हो गया था फेल
शिक्षा विभाग ने दो साल पहले यानी 2016 में भी एम शिक्षा मित्र एप
लागू किया था। उस समय भी कमियां सामने आई थीं। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा
था। करीब 15 दिन चलने के बाद सरकार ने इसकी अनिवार्यता खत्म कर दी थी। इसके
बाद एप को नए वर्जन के साथ अमल में लाया जा रहा है। हालांकि पुराने वर्जन
में शिक्षकों को सिर्फ मोबाइल से एसएमएस करना होता था।
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