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शिक्षकों के लिए जारी हुआ ये आदेश, ज्यादातर रहे असफल

रीवा। शिक्षा अधिकारियों ने निरीक्षण के जरिए प्राचार्यों व प्रधानाध्यापकों पर दबाव बनाया। शिक्षकों ने कोशिश भी की लेकिन छात्रों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ। नतीजा नए शैक्षणिक सत्र की सारी कवायद केवल खयाली पुलाव बनकर रह गई है। बात शासकीय शालाओं की कर रहे हैं।

इकाई के आंकड़ा तक सीमित छात्रसंख्या
स्कूल शिक्षा विभाग की नई पहल पर अप्रैल में शुरू किए गए नए शैक्षणिक सत्र को १५ दिवस बीत गए हैं लेकिन अभी तक ज्यादातर स्कूलों में कक्षाओं का संचालन महज औपचारिकता तक सीमित है। तमाम कोशिशों के बावत छात्रों की संख्या इकाई के आंकड़ा तक सीमित हैं। शिक्षा अधिकारियों की ओर से किए गए निरीक्षण के आधार पर अब तक की रिपोर्ट कुछ ऐसी ही है।
नियुक्ति का नहीं जुटा पा रहे साहस
स्कूलों में छात्रों की कम संख्या को देखते हुए प्राचार्य व प्रधानाध्यापक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं जबकि शासन स्तर से इस बात का निर्देश जारी किया जा चुका है कि आवश्यकता के मद्देनजर २८ अप्रैल तक स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है।
अभिभावक नहीं ले रहे रूचि
स्कूलों में छात्रों की कम संख्या को अभिभावकों की अरूचि का नतीजा माना जा रहा है। शिक्षा अधिकारियों का मानना है कि अभिभावक अभी इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है कि स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो गई है। अभिभावकों में अभी यह धारणा टूटी नहीं है कि नया सत्र जुलाई में शुरू होगा। शिक्षक अभिभावकों को समझाइस देने में जुटे हुए हैं।

नए सत्र की यह है योजना
- प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में ज्वॉयफुल कक्षाएं संचालित हों।
- कक्षा नवीं में नवप्रवेशित छात्रों के लिए ब्रिज कोर्स चलाया जाए।
- कक्षा दसवीं व 12 वीं के छात्रों की नियमित कक्षाएं शुरू की जाएं।
- शालाओं में शाला प्रबंध समिति व अभिभावकों की बैठक बुलाई जाएं।

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