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दावा कर रहे शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम लाने का, हकीकत में दावे खोखले

बीना. शिक्षा विभाग के अधिकारी इस वर्ष बोर्ड कक्षाओं का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत लाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी इन दावों की कुछ अलग ही हकीकत बयां कर रही है। ब्लॉक के तीन स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो अन्य 27 स्कूलों में एक भी अंग्रेजी का स्थाई शिक्षक नहीं है और गणित के शिक्षकों की भी कमी स्कूलों में बनी हुई है।

वर्तमान में स्कूलों की यह हालत है कि 12 हायर सेकेंडरी स्कूल और 18 हाई स्कूल में भानगढ़, मंडीबामोरा और उत्कृष्ट स्कूल को छोड़कर किसी भी स्कूल में स्थाई अंग्रेजी का शिक्षक नहीं है। यहां अतिथि शिक्षकों के हवाले विद्यार्थियों का भविष्य टिका हुआ है। इसके साथ ही गणित के शिक्षक नानक वार्ड स्कूल, ढांड, पटकुरई, बरमाइन, बिहरना, बुखारा, पडऱरिया, विल्धव,बरौदिया कंजिया, एरन में नहीं हैं। गणित पढ़ाने के लिए अतिथि शिक्षक हैं या फिर माध्यमिक स्कूल के शिक्षकों से मदद ली जा रही है। स्थाई शिक्षक न होने के कारण विद्यार्थियों को विषय से संबंधी परेशानियां आती हैं। सबसेज्यादा विद्यार्थियों को कठिनाई इन्हीं दो विषयों में होती है और इन्हीं विषयों को पढ़ाने के लिए स्थाई शिक्षक नहीं हैं। यह स्थिति इन स्कूलों में कई वर्षों से बनी हुई है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। शहर के विद्यार्थी तो कोचिंग पढ़कर इन विषयों में अच्छी तैयारी कर लेते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को तो कोचिंग भी नहीं मिल पाती है।
आगासौद हाई, हायर सेकेंडरी स्कूल में एक शिक्षक
आगासौद के हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल में सिर्फ एक स्थाईशिक्षक पदस्थ हैं, जिससे यहां के परीक्षा परिणाम का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां अतिथि शिक्षक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। ऐसे स्कूल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए जीता-जागता उदाहरण हैं।
पिछले वर्ष का यह रहा था परीक्षा परिणाम
पिछले वर्ष ब्लॉक में कक्षा दसवीं का परीक्षा परिणाम करीब 66 प्रतिशत और बारहवीं का करीब 75 प्रतिशत रहा। जिसे अधिकारियों ने पिछले वर्षों की अपेक्षा अच्छा बताया था और शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम लाने की बात की जा रही है।
किए जा रहे हैं प्रयास
जिन स्कूलों में अंग्रेजी, गणित के स्थाई शिक्षक नहीं हैं वहां अतिथि शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। पूरा प्रयास किया जा रहा हैकि विद्यार्थियों को इन विषयों में कोईपरेशानी न आए। स्कूलों में शासन स्तर से ही भर्ती नहीं की जा रही हैं।
दिनेश यादव, बीईओ, बीना 

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