भोपाल
महिला शिक्षकों के द्वारा अपने बाल मुंडवा लेने के बाद जगे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में लंबे समय से कार्यरत अस्थायी अध्यापकों की अहम मांग को पूरा करने की घोषणा की है। सीएम ने रविवार को अस्थायी अध्यापकों के अलग-अलग संवर्गों की शिक्षा विभाग में विलय करने की घोषणा की। इस फैसले से प्रदेश के 2 लाख 84 हजार शिक्षकों को फायदा होगा।
सीएम ने यहां मुख्यमंत्री निवास पर अध्यापक संघों के पदाधिकारियों और अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा,'अध्यापकों के अलग-अलग संवर्गों का शिक्षा विभाग में विलय होगा। प्रदेश के नियमित शिक्षकों को जो सुविधाएं मिलती हैं, वह इन अध्यापकों को भी मिलेगी।' गौरतलब है कि हाल ही में कुछ आंदोलनरत महिला शिक्षकों ने अपने बाल मुंडवा लिए थे, जिसके बाद शिवराज सरकार ने इस संबंध में फैसला लिया है।
#MadhyaPradesh CM Shivraj Singh Chouhan agrees to the demands of teachers protesting in the state. They will now be... https://t.co/w3u715hRdf
— ANI (@ANI) 1516535333000
चौहान ने कहा कि अध्यापकों के लिये स्थानांतरण नीति, गुरुजनों का वरिष्ठता क्रम तथा शिक्षिकाओं के लिये मातृत्व अवकाश की सुविधा शामिल रहेगी। उन्होंने कहा कि आज के दिन से अध्यापकों के साथ ऐतिहासिक अन्याय दूर हो रहा है। इस प्रदेश ने वह दौर भी देखा है जिसमें शिक्षकों को कर्मी बना दिया गया था। हमने प्रदेश में 'कर्मी कल्चर' को समाप्त किया है। शिवराज के इस फैसले से प्रदेश के 2 लाख 84 हजार शिक्षकों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा,'शिक्षक मेहनत और निष्ठा से बच्चों को पढ़ायें और उनका भविष्य बनाएं। शिक्षकों का भविष्य राज्य सरकार बनायेगी।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तय किया है कि 12वीं कक्षा में 70 प्रतिशत अंक लाने वाले बच्चों का प्रवेश मेडिकल-इंजिनियरिंग जैसे पाठ्यक्रमों में होने पर उनकी फीस राज्य सरकार भरेगी। संभाग स्तर पर गुणवत्ता सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे ताकि शासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों के बेहतर परीक्षा परिणाम आए।
गौरतलब है कि हाल ही में भोपाल के जम्बूरी मैदान में प्रदेश भर से आए अस्थायी अध्यापकों ने शिक्षा विभाग में अपनी सेवाओं के विलय की मुख्य मांग सहित अन्य मांगों के समर्थन में प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था और विरोध स्वरूप सैंकड़ों पुरुष अध्यापकों सहित चार महिला अध्यापकों ने अपने सिर के केश उतरवाकर 'मुंडन' करा लिया था। मीडिया में इस आंदोलन के समाचार और फोटो प्रकाशित होने के बाद प्रदेश सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था।
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