भोपाल। MP सरकार नए साल पर मध्यप्रदेश के 2.84 लाख
अध्यापकों को नया तोहफा दे सकती है। सरकारी स्तर पर कवायद शुरू होने के
चलते इनके शिक्षा विभाग में संविलियन के आसार बढ़ गए हैं। वहीं मुख्यमंत्री
शिवराजसिंह चौहान ने अधिकारियों से भी इस बारे में जानकारी मांगी है।
सीएम शिवराजसिंह 24 दिसंबर को अध्यापकों के संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर बात भी करेंगे।
जानकारी के मुताबिक अभी प्रदेश भर में ये अध्यापक चार विभागों के अधीन काम कर रहे हैं। साथ ही इन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं है। मुख्य रूप से ये नगरीय, पंचायती निकायों और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधीन हैं।
जबकि इनके लिए नियम स्कूल शिक्षा विभाग बनाता है। इन्हीं सब परेशानियों के चलते संविलियन की मांग को लेकर अध्यापकों के संगठन पिछले एक दशक में 25 से ज्यादा आंदोलन कर चुके हैं। अब चुनावों से पहले शासन इनके लिए सम्मेलन बुलाने की भी तैयारी कर रहा है। इसी के तहत गुरुवार रात सीएम हाउस में मीटिंग हुई। इसमें राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेशचंद्र शर्मा, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष शिव चौबे समेत स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। सीएम ने गुरुवार रात अध्यापकों के संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर बातचीत की थी। इस दौरान सीएम ने यह कहा था कि मैं बार-बार की झंझटों से मुक्ति चाहता हूं, संविलियन भी होगा।
ये होगा फायदा व मिलेंगी सुविधाएं...
1. सरकारी कर्मचारी बन जाएंगे शिक्षक।
2. महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव मिलेगी।
3. सरकारी कर्मचारी को मिलने वाले बीमा,ग्रेच्यूटी,एचआरए,भत्ते व जीपीएफ सहित कई फायदे मिलने लगेंगे।
4. अनुकंपा नियुक्ति का सरलीकरण होगा।
5. सिर्फ एक ही विभाग का स्कूल शिक्षा पर नियंत्रण रहेगा।
6. छठवें वेतनमान में व्याप्त विसंगतियां दूर होंगी।
कांग्रेस शासन में बदली थी व्यवस्था:
जानकारी के अनुसार दिग्विजय सिंह ने 1994 में सहायक शिक्षक, शिक्षक व लेक्चरर के पद खत्म कर दिए थ। संविधान के अनुच्छेद 73/74 के तहत स्कूल शिक्षा व्यवस्था पंचायती राज के तहत नगरीय व पंचायत निकायों को सौंप दी थी। व्यवस्था के तहत शिक्षा कर्मी वर्ग 3 वर्ग, दो और वर्ग एक के तहत सभी भर्ती की थी कि सरकार ने 2001 में संविदा शिक्षक वर्ग 3, दो और एक बना दिए थे भाजपा सरकार ने 2007 में शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षकों को मिलाकर अध्यापक कैडर बनाया था, जिसमें तीनों वर्गों को सहायक अध्यापक,अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक श्रेणी नाम दे दिया गया।
सीएम शिवराजसिंह 24 दिसंबर को अध्यापकों के संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर बात भी करेंगे।
जानकारी के मुताबिक अभी प्रदेश भर में ये अध्यापक चार विभागों के अधीन काम कर रहे हैं। साथ ही इन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं है। मुख्य रूप से ये नगरीय, पंचायती निकायों और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधीन हैं।
जबकि इनके लिए नियम स्कूल शिक्षा विभाग बनाता है। इन्हीं सब परेशानियों के चलते संविलियन की मांग को लेकर अध्यापकों के संगठन पिछले एक दशक में 25 से ज्यादा आंदोलन कर चुके हैं। अब चुनावों से पहले शासन इनके लिए सम्मेलन बुलाने की भी तैयारी कर रहा है। इसी के तहत गुरुवार रात सीएम हाउस में मीटिंग हुई। इसमें राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेशचंद्र शर्मा, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष शिव चौबे समेत स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। सीएम ने गुरुवार रात अध्यापकों के संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर बातचीत की थी। इस दौरान सीएम ने यह कहा था कि मैं बार-बार की झंझटों से मुक्ति चाहता हूं, संविलियन भी होगा।
ये होगा फायदा व मिलेंगी सुविधाएं...
1. सरकारी कर्मचारी बन जाएंगे शिक्षक।
2. महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव मिलेगी।
3. सरकारी कर्मचारी को मिलने वाले बीमा,ग्रेच्यूटी,एचआरए,भत्ते व जीपीएफ सहित कई फायदे मिलने लगेंगे।
4. अनुकंपा नियुक्ति का सरलीकरण होगा।
5. सिर्फ एक ही विभाग का स्कूल शिक्षा पर नियंत्रण रहेगा।
6. छठवें वेतनमान में व्याप्त विसंगतियां दूर होंगी।
कांग्रेस शासन में बदली थी व्यवस्था:
जानकारी के अनुसार दिग्विजय सिंह ने 1994 में सहायक शिक्षक, शिक्षक व लेक्चरर के पद खत्म कर दिए थ। संविधान के अनुच्छेद 73/74 के तहत स्कूल शिक्षा व्यवस्था पंचायती राज के तहत नगरीय व पंचायत निकायों को सौंप दी थी। व्यवस्था के तहत शिक्षा कर्मी वर्ग 3 वर्ग, दो और वर्ग एक के तहत सभी भर्ती की थी कि सरकार ने 2001 में संविदा शिक्षक वर्ग 3, दो और एक बना दिए थे भाजपा सरकार ने 2007 में शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षकों को मिलाकर अध्यापक कैडर बनाया था, जिसमें तीनों वर्गों को सहायक अध्यापक,अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक श्रेणी नाम दे दिया गया।