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सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी जारी, पढ़ाई चौपट

खरगापुर। पढ़ो पढ़ाओ पढ़ने दो, देश को आगे बढ़ने दो का जुमला अब कागजों में ही दम तोड़ने लगा है। क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांव तो ऐसे हो गए हैं, जहां शिक्षकों के पहुंचना किसी त्योहार की खुशी का अहसास करता है। शिक्षकों में यहां देर से आना और जल्दी आना बदस्तूर जारी है।
समाजसेवियों और बच्चों के अभिभावकों में बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है। लोगों ने यहां चंद मिनटों के लिए आने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने पर जोर दिया है।
समाजसेवी दिनेश अग्रवाल ने कहा है कि क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों की मनमानी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां शिक्षकों के अप-डाउन करने से वह देर से आते हैं और जल्दी चले जाते हैं। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी औचक निरीक्षण करने की औपचारिकता पूरी करते आ रहे हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि ग्राम गैती, फुटेर, शिवनगर, धर्मपुरा, देरी, खेरा सहित अनेक ग्रामीण स्कूलों में शिक्षक और शिक्षकाएं समय पर स्कूल नहीं जाते यहां हस्ताक्षर कर दोपहर साढ़े तीन बजे तक स्कूल छोड़ देते हैं। शासन की अनेक योजनाएं जहां दम तोड़ रही हैं, वहीं बच्चों के भविष्य पर इसका गहरा असर देखा जा रहा है। उनका कहना है कि एक तो वैसे ही यहां शिक्षकों की कमी है, उस पर जो है वो भी समय पर नहीं आते।
समाजसेवी दिनेश अग्रवाल ने कहा है स्थानीय स्कूलों सहित यहां ग्रामीण क्षेत्रों में बनें प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में करोड़ों रुपये की लागत से शौचालयों का निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन इन स्कूलों में पानी की कमी के कारण यह शौचालय नुमाईशी बनें हुये हैं। यहां स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं को दूर करने की दिशा में अब तक ठोस कदम न उठाये जाने से बच्चों की समस्याएं यथावत बनी हुई हैं। कहा है कि कहीं स्कूल भवन जर्जर है तो कहीं शिक्षकों की कमी है। इसके साथ ही जहां छात्र-छात्राएं अधिक हैं वहां शिक्षक कम हैं और जहां शिक्षक पर्याप्त हैं तो वहां छात्र-छात्राएं कम हैं। श्री अग्रवाल ने स्कूलों की बुनियादी समस्याओं को दूर करने की मांग की है, जिससे बच्चों की पढ़ाई हो सके और शासन की मंशा पर पानी न फेरा जा सके।
निर्देशों की उड़ाई जा रही धज्जियां
खरगापुर क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम गैती, खेरा, धर्मपुरा, देरी सहित अधिकांश स्कूलों में शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बताया गया है कि यहां आने वाले शिक्षक टाइमपास करने आते-जाते हैं। देखा जाए तो यहां के बच्चों को अब तक अपने स्कूल का नाम भी ठीक से नहीं आता। न तो यहां बच्चे जय हिन्द बोलते हैं और न ही राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। अनुशासन देखने को नहीं मिलता। जिला शिक्षा अधिकारी सहित शासन के निर्देशों का माखौल उड़ाने के बाद भी यहां शिक्षकों की मनमानी बदस्तूर जारी है। अभिभावकों में भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है।

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