सुमित मंडलोई. खंडवा/बोरगांव बुजुर्ग.
जिले में एक स्कूल एेसा है जहां विद्यार्थी भैंस के तबले में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। ये कोई कहानी या किस्सा नहीं बल्कि शिक्षामंत्री विजय शाह के गृह क्षेत्र की स्कूल का मामला है। प्रायमरी स्कूल में 38 विद्यार्थी दर्ज हैं, जो गाय-बैल व भैंस के बीच बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
जिले में एक स्कूल एेसा है जहां विद्यार्थी भैंस के तबले में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। ये कोई कहानी या किस्सा नहीं बल्कि शिक्षामंत्री विजय शाह के गृह क्षेत्र की स्कूल का मामला है। प्रायमरी स्कूल में 38 विद्यार्थी दर्ज हैं, जो गाय-बैल व भैंस के बीच बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
ये हाल हैं पंधाना तहसील के राजोरा पंचायत के भैरुमदड़ टांडा गांव के। ये दृश्य है यहां की प्रायमरी स्कूल का। मजेदार बात यह है कि १ अगस्त से एकमात्र शिक्षक था वह भी अवकाश पर चला गया है। एेसे में बच्चे कैसे अपना और देश का भविष्य संवार पाएंगे। जिम्मेदारों से बात की तो वह व्यवस्था सुधारने का आश्वासन दे रहे हैं।
आजादी के 70 साल बाद भी शिक्षा का ये हाल
आदिवासी भैरुमदड़ टांडा गांव में आजादी के 70 साल बाद भी एेसा हाल है कि यहां नौनिहालों की शिक्षा के लिए कोई स्कूल भवन नहीं है। शिक्षा विभाग ने जो व्यवस्था की है वह आदिवासी के भैंस के तबले में लगाया जा रहा है। एक या दो नहीं बल्कि चार साल से यहां स्कूल लग रहा है।
एक शिक्षक वह भी 15 दिन से गायब
स्कूल में एक शिक्षक व एक अतिथि शिक्षक पदस्थ है, जिसमें शिक्षक प्रकाश रोमड़े 1 अगस्त से मेडिकल लेकर छुट्टी पर गए हैं। अतिथि शिक्षक सुनील धांडे स्कूल संभाल रहे हैं। जब पत्रिका ने शुक्रवार को यहां पहुंचकर जानकारी ली तो पता चला कि 14 अगस्त से यहां शिक्षक मकसूद को अटैच किया गया है, वो स्काउट के काम से बाहर गए थे और अतिथि शिक्षक दोपहर तीन बजे बगल की आंगनवाड़ी केंद्र में बैठे थे।
स्कूल में एक शिक्षक व एक अतिथि शिक्षक पदस्थ है, जिसमें शिक्षक प्रकाश रोमड़े 1 अगस्त से मेडिकल लेकर छुट्टी पर गए हैं। अतिथि शिक्षक सुनील धांडे स्कूल संभाल रहे हैं। जब पत्रिका ने शुक्रवार को यहां पहुंचकर जानकारी ली तो पता चला कि 14 अगस्त से यहां शिक्षक मकसूद को अटैच किया गया है, वो स्काउट के काम से बाहर गए थे और अतिथि शिक्षक दोपहर तीन बजे बगल की आंगनवाड़ी केंद्र में बैठे थे।