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हिन्दी माध्यम के शिक्षकों के भरोसे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल

हिन्दी माध्यम के शिक्षकों के भरोसे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल
- सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के लिए 2 साल पहले किए हैं शुरू
- दो साल बाद भी नहीं हो सकी अंग्रेजी के योग्य शिक्षकों की स्कूलों में नियुक्ति

- जिले के 14 स्कूलों में मात्र 2 शिक्षक ही पदस्थ, नहीं मिल रहे अतिथि शिक्षक भी
फोटो-------------2बीटीएल9
बैतूल। शहर के हमलापुर स्कूल को भी अंग्रेजी माध्यम का कर दिया गया है।
बैतूल। नवदुनिया प्रतिनिधि
सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करवाने के लिए अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू तो कर दिए पर इनमें पढ़ाने की औपचारिकता हिन्दी माध्यम के शिक्षक ही कर रहे हैं। जिले में शुरू हुए 14 में से मात्र 2 स्कूलों में 1-1 अंग्रेजी के शिक्षक पदस्थ किए जा सके हैं। शेष स्कूलों में हिन्दी माध्यम के शिक्षकों से ही पढ़वाने की औपचारिकता पूरी करवाई जा रही है। शासन एक ओर निजी स्कूलों पर तो इस मामले में सख्ती बरत रहा है, लेकिन खुद के स्कूलों पर कोई ध्यान ही नहीं है।
अभिभावकों का अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के लिए निजी कॉन्वेंट स्कूलों की ओर रूझान देख कर शासन ने भी सरकारी स्कूलों में ही कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करवाने के लिए चयनित स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करवाई थी। इसके तहत वर्ष 2015-16 में जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले और कक्षा पहली से प्रारंभ होने वाले 5 प्राथमिक स्कूलों और 4 माध्यमिक स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करवाई गई थी। इसके बाद 2016-17 में 5 प्राथमिक स्कूलों में भी अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई शुरू करवाई गई। इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की ही पुस्तकें भी उपलब्ध कराई जाती है और उसी से पढ़ाई भी करवाना है। पुस्तकें तो शासन से उपलब्ध हो जाती है, लेकिन सक्षम शिक्षकों की व्यवस्था शासन व शिक्षा विभाग आज तक नहीं कर पाया है।
यह होनी चाहिए योग्यता
शासन द्वारा जो मापदंड तय किए गए हैं, उनके अनुसार अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराने के लिए या तो अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित होने चाहिए या फिर अंग्रेजी से स्नातकोत्तर होना चाहिए। यदि यह योग्यताधारी न भी हो तो स्नातक स्तर पर अंग्रेजी एक मुख्य विषय के रूप में लेकर पढ़ाई की होना चाहिए। इधर दूसरी ओर जिले में स्थिति यह है कि पहले से ही अंग्रेजी विषय के शिक्षकों के पद थोक में खाली पड़े हैं। ऐसे में इन स्कूलों के लिए पात्र शिक्षक मिलना संभव ही नहीं है।
दो शिक्षक ही मिल पाए
इन हालातों में शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की भर्ती के लिए दो साल पहले प्रक्रिया शुरू की। यह बात अलग है कि इस दौरान भी आवश्यकता के अनुसार शिक्षक नहीं मिल पाए। भर्ती प्रक्रिया के दौरान केवल 2 शिक्षक ही मिल पाए जो मापदंडों पर खरे उतर पाए। ऐसे में एक शिक्षक को प्रभातपट्टन के स्कूल में पदस्थ किया गया वहीं दूसरे शिक्षक को मुलताई के स्कूल में पदस्थ किया गया। यह बात अलग है कि यहां भी इकलौते शिक्षक पर्याप्त नहीं, बल्कि और शिक्षक चाहिए।
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अतिथि शिक्षकों का भी टोटा
अंग्रेजी के शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाने पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती कर पढ़ाई करने के आदेश दिए गए थे। यह बात अलग है कि अतिथि शिक्षक भी जरुरत के अनुसार नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में संकुल प्राचार्यों द्वारा काम चलाऊ व्यवस्था के रूप में उपलब्ध हिन्दी माध्यम के शिक्षकों को ही इन स्कूलों में पदस्थ कर काम चलाया जा रहा है। अब विशुद्घ हिन्दी माध्यम के शिक्षक, जिनके खुद के लिए ही अंग्रेजी किसी पहाड़ से कम नहीं है, बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में कितना पढ़ा पा रहे होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह स्कूल नाम के भले ही अंग्रेजी माध्यम के हो, पर बच्चों को कुछ खास हासिल नहीं हो पा रहा है।
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यह स्कूल अंगे्रजी माध्यम के
कब से शुरू---स्कूल का नाम
2015-16---गर्ग कॉलोनी बैतूल, मलकापुर, भोगीतेढ़ा, भडूस, खंडारा के प्राथमिक स्कूल
2015-16---सदर बैतूल, रेलवे आमला, प्रभातपट्टन, पटेल वार्ड मुलताई के माध्यमिक स्कूल
2016-17---खेड़ी सांवलीगढ़, खेड़ला, माथनी, नाहिया, हमलापुर के प्राथमिक स्कूल
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इधर होल्ड कर दी मान्यता
एक ओर सरकारी स्कूलों में बिना अंग्रेजी विषय के शिक्षकों के पढ़ाई करवाई जा रही है वहीं निजी स्कूलों में अंग्रेजी के शिक्षकों के नहीं होने पर मान्यता होल्ड कर दी गई है। जिले में 31 निजी स्कूल ऐसे हैं जहां पर गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषय पढ़ाने के लिए अंग्रेजी के शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों की मान्यता होल्ड करके रख ली है। यह स्कूल जब शिक्षकों की व्यवस्था हो जाने की जानकारी देंगे, तब मान्यता बहाल कर दी जाएगी। इनमें से दर्जन भर स्कूल तो केवल बैतूल और मुलताई के ही हैं। इन स्कूलों को शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी कर दिए हैं।
वे बोले...
अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू होने पर इन स्कूलों के लिए शिक्षकों की भर्ती के प्रयास किए गए थे पर शिक्षक नहीं मिल सके। ऐसे में अतिथि शिक्षक और उनके भी नहीं मिलने पर उपलब्ध हिन्दी माध्यम के शिक्षकों से पढ़ाई करवाई जा रही है। अंग्रेजी के शिक्षकों की व्यवस्था करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
अशोक पराडकर, डीपीसी, जिला शिक्षा केंद्र, बैतूल 

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