ग्वालियर।
सीबीएसई द्वारा 9वीं एवं 10 वीं के छात्रों के लिए सतत एवं समग्र
मूल्यांकन यानी सीसीई लागू करने से छात्रों में पढ़ाई के साथ अन्य
गतिविधियों में रुचि बढ़ी है। शिक्षक अगर प्रयास करें तो इस पद्धति से
स्टूडेंट्स का समग्र विकास किया जा सकता है। यह बात डॉ.राजेश कुमार चंदेल
ने कही।
मौका था गुरुवार को सीबीएसई द्वारा विद्या भवन स्कूल में तीन दिवसीय सीसीई पर आधारित मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण कार्यशाला के शुभारंभ का। इस दौरान रिसोर्स पर्सन ने सीसीई के बारे में विस्तार से शिक्षकों को बताया। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से सीसीई के फायदे बताए।
सवालों के दिए जवाब
कार्यशाला में देश भर के विभिन्न शहरों के सीबीएसई स्कूल के लगभग 52 प्राचार्य शामिल हुए। पहले दिन मास्टर ट्रेनर्स को सीसीई की अवधारणा, सुविधाओं आर सतत एवं समग्र मूल्यांकन के अर्थ के बारे में बताया गया। इस दौरान सीसीई में आने वाली व्यवहारिक कठिनाई की ओर कुछ प्राचार्य ने ध्यान केंद्रित किया। इस पर डॉ. राजेश चंदेल ने उदाहरण देकर उनके सवालों का जवाब दिया। कार्यशााला के दूसरे दिन सह शैक्षिक क्षेत्रों तथा छत्राओं को संस्कारवान बनाने के विषय में प्रकाश डाला जाएगा।
क्या है सीसीई
सतत एवं समग्र मूल्यांकन प्रणाली यानि सीसीई को सीबीएसई ने स्टूडेंट्स में परीक्षा के तनाव को कम करने के लिए लागू किया था। इस सिस्टम के तहत छात्रों के अंक ग्रेड से बदल दिए गए। जिनमें शैक्षिक गतिविधियों के साथ कॅरीकुलर गतिविधि पर ध्यान दिया जाता है। प्रत्येक सेमेस्टर में दो फार्मेटिव और एक समेटिव असेसमेंट होता है। इसके अलावा लिखित परीक्षा भी ली जाती है। जिसका पेपर स्कूलों द्वारा बनाया जाता है। बच्चों के पास यह विकल्प है कि वे चुनाव कर सकें कि वह बोर्ड की परीक्षा में बैठेंगे या स्कूल की।
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मौका था गुरुवार को सीबीएसई द्वारा विद्या भवन स्कूल में तीन दिवसीय सीसीई पर आधारित मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण कार्यशाला के शुभारंभ का। इस दौरान रिसोर्स पर्सन ने सीसीई के बारे में विस्तार से शिक्षकों को बताया। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से सीसीई के फायदे बताए।
सवालों के दिए जवाब
कार्यशाला में देश भर के विभिन्न शहरों के सीबीएसई स्कूल के लगभग 52 प्राचार्य शामिल हुए। पहले दिन मास्टर ट्रेनर्स को सीसीई की अवधारणा, सुविधाओं आर सतत एवं समग्र मूल्यांकन के अर्थ के बारे में बताया गया। इस दौरान सीसीई में आने वाली व्यवहारिक कठिनाई की ओर कुछ प्राचार्य ने ध्यान केंद्रित किया। इस पर डॉ. राजेश चंदेल ने उदाहरण देकर उनके सवालों का जवाब दिया। कार्यशााला के दूसरे दिन सह शैक्षिक क्षेत्रों तथा छत्राओं को संस्कारवान बनाने के विषय में प्रकाश डाला जाएगा।
क्या है सीसीई
सतत एवं समग्र मूल्यांकन प्रणाली यानि सीसीई को सीबीएसई ने स्टूडेंट्स में परीक्षा के तनाव को कम करने के लिए लागू किया था। इस सिस्टम के तहत छात्रों के अंक ग्रेड से बदल दिए गए। जिनमें शैक्षिक गतिविधियों के साथ कॅरीकुलर गतिविधि पर ध्यान दिया जाता है। प्रत्येक सेमेस्टर में दो फार्मेटिव और एक समेटिव असेसमेंट होता है। इसके अलावा लिखित परीक्षा भी ली जाती है। जिसका पेपर स्कूलों द्वारा बनाया जाता है। बच्चों के पास यह विकल्प है कि वे चुनाव कर सकें कि वह बोर्ड की परीक्षा में बैठेंगे या स्कूल की।
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