छतरपुर। जिले की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हुईं कुछ तस्वीरें सामने आई हैं। शीतल पुरवा गांव में संचालित हो रहे इस सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के लिए हाथ में पेंसिल और किताब की जगह पुताई करने वाले ब्रश पकड़ा दिए गए और छात्रों से मजदूरों की तरह दीवारें पुतवाई जा रही है।
राजनगर तहसील के शीतलपुरवा गांव संचालित सरकारी स्कूल में बच्चे जाते तो पढ़ने के लिए हैं लेकिन यहां शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के बजाए उनके हाथों से किताब और कलम लेकर पुताई के ब्रश पकड़ा देते हैं। इस मामले में जब शिक्षक से सवाल किया गया तो उन्होंने जो जवाब दिया वो भी काफी चौंकाने वाला था।
पढ़ें : कुपोषण को लेकर 'कोहराम', गौर और चीटनीस के बीच तीखी नोक-झोक
थोड़े से काम के लिए मजदूरों की जरूरत नहीं
शिक्षक ने जवाब देते हुए कहा कि थोड़ा सा ही काम है और इसके लिए प्रधानाध्यापक गणेश गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि थोड़े से काम के लिए मजदूर नहीं लगा सकते इसीलिए बच्चों से ही काम करवाया जा रहा है।
पुताई करवाने वाले शिक्षक
शिक्षक के कहने पर पुताई की
वहीं स्कूल की पुताई करने में लगे बच्चों से जब पूछा गया कि वो पढ़ाई छोड़कर पुताई क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि शिक्षक के कहने पर वो ड्रेस उतारकर पुताई कर रहे हैं।
पुताई करने वाले छात्र
जांच का भरोसा
वहीं मामले की जब शिक्षा अधिकारी जेएस बरखड़े से शिकायत की गई तो उन्होंने कहा कि बच्चों से बात कर मामले की जांच करवाई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन सवाल ये उठता है कि सरकार लाखों रुपए खर्च कर सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन स्कूल के शिक्षक ही बच्चों से पढ़ाई छुड़वाकर इस तरह के काम करवाते रहेंगे तो शिक्षा गुणवत्ता कैसे ठीक होगी और कैसे बच्चों को भविष्य बेहतर होगा।
राजनगर तहसील के शीतलपुरवा गांव संचालित सरकारी स्कूल में बच्चे जाते तो पढ़ने के लिए हैं लेकिन यहां शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के बजाए उनके हाथों से किताब और कलम लेकर पुताई के ब्रश पकड़ा देते हैं। इस मामले में जब शिक्षक से सवाल किया गया तो उन्होंने जो जवाब दिया वो भी काफी चौंकाने वाला था।
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थोड़े से काम के लिए मजदूरों की जरूरत नहीं
शिक्षक ने जवाब देते हुए कहा कि थोड़ा सा ही काम है और इसके लिए प्रधानाध्यापक गणेश गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि थोड़े से काम के लिए मजदूर नहीं लगा सकते इसीलिए बच्चों से ही काम करवाया जा रहा है।
पुताई करवाने वाले शिक्षक
शिक्षक के कहने पर पुताई की
वहीं स्कूल की पुताई करने में लगे बच्चों से जब पूछा गया कि वो पढ़ाई छोड़कर पुताई क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि शिक्षक के कहने पर वो ड्रेस उतारकर पुताई कर रहे हैं।
पुताई करने वाले छात्र
जांच का भरोसा
वहीं मामले की जब शिक्षा अधिकारी जेएस बरखड़े से शिकायत की गई तो उन्होंने कहा कि बच्चों से बात कर मामले की जांच करवाई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन सवाल ये उठता है कि सरकार लाखों रुपए खर्च कर सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन स्कूल के शिक्षक ही बच्चों से पढ़ाई छुड़वाकर इस तरह के काम करवाते रहेंगे तो शिक्षा गुणवत्ता कैसे ठीक होगी और कैसे बच्चों को भविष्य बेहतर होगा।