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सरकारी कॉलेजों में लगभग 27 वर्ष बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति का रास्ता तो साफ

भोपाल। सरकारी कॉलेजों में लगभग 27 वर्ष बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति का रास्ता तो साफ हो गया है, लेकिन अब तक उनकी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। आरक्षण सहित विभिन्न विवादों के कारण नियुक्ति प्रक्रिया लंबे समय से अटकी हुई थी।


मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की प्रक्रिया संबंधी दिशा निर्देश 26 सितंबर को जारी कर दिए गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग चयनित उम्मीदवारों को पहली बार नियुक्ति के लिए च्वाइस फिलिंग की सुविधा दे रहा है। इसमें उम्मीदवार अपने पसंद के कॉलेजों में पढ़ाने की इच्छा बता सकते हैं। च्वाइस फिलिंग की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।

पीएससी 38 विषयों की रिवाइज्ड लिस्ट जारी कर चुका है। इसमें 2497 उम्मीदवार चयनित हो चुके हैं। सिर्फ पॉलिटिकल साइंस का रिजल्ट घोषित होना शेष है। इधर, सहायक अध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश खातरकर का कहना है कि इसके बारे में न तो उच्च शिक्षा विभाग और न ही सामान्य प्रशासन से कोई जानकारी मिल पा रही है।

इधर 34 दिव्यांगों ने शुरू किया प्रक्रिया का विरोध
सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2017 चयन को लेकर 34 दिव्यांग उम्मीदवारों ने विरोध शुरू कर दिया है। उम्मीदवार डॉ. वविता राठौर ने चयन में वर्ष 2016 के नियम का पालन नहीं किए जाने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि विज्ञापन में उनकी सीटें 202 बताई थीं, लेकिन बाद में रिवाइज्ड करने पर 34 सीटें कम हो गईं। इसके चलते उन जैसे 34 लोग इससे बाहर हो गए हैं।


उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग के दिव्यांगजनों के पदों के भर्ती हेतु विशेष भर्ती अभियान के आदेशों का भी पालन नहीं किया गया है। न ही दिव्यांगजनों के पदों को केरीफॉवर्ड किया गया। दमोह निवासी गेस्ट सहायक प्राध्यापक शंकरलाल पटेल ने कहा कि अगर उन्हें मौका नहीं मिला तो वे कोर्ट जाएंगे।

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