मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में हो रही भर्तियों पर एक बार फिर से सवाल
खड़े हो रहे हैं. दरअसल एमपी पीएससी ने उच्च शिक्षा विभाग के लिए प्रोफेसर
और असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्तियां शुरु की थीं लेकिन पहले ही दिन से भर्ती प्रक्रिया पर गड़बड़ियों के आरोप लग रहे हैं.
आरोप है कि पीएससी ने नियम जारी होने के बाद लगभग 19 संशोधन किए हैं.
हैरानी इस बात से भी है कि कुछ संशोधन को परीक्षा का परिणाम निकलने के बाद
किए गए. कांग्रेस ने इसे व्यापम-2 करार दिया है, जबकि बीजेपी पूरे मामले से
पल्ला झाड़ती नज़र आ रही हैं.
यह भी आरोप लगे हैं कि हिंदी के रिजल्ट में
OBC-सामान्य का कटऑफ 366 जबकि OBC महिला का कटऑफ 367 है. इसको लेकर भी
पीएससी की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. महिलाओं के कट ऑफ नंबर ज्यादा
होने से कंफ्यूजन बढ़ गई है.
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आरोप एक
- फिज़िक्स विषय में भर्ती के लिए 118 पद खाली थे जिसकी जगह 122 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया.
- एसटी के लिए 35 पदों के लिए 37 विज्ञापन और ओबीसी के लिए 54 पदों पर 57 विज्ञापन निकाल दिए गए.
- खास बात ये है कि इसे पीएससी लिपिकीय त्रुटि बता रहा है.
- पीएससी के मुताबिक इन पदों को नए खुलने वाले 44 महाविद्यालयों में समायोजित किया जाएगा.
- यानि पुराने बैकलॉग के पदों के लिए विज्ञापन नहीं निकाले गए और जो महाविद्यालय खुले ही नहीं उनके लिए रिक्रूटमेंट कर दिया गया.
आरोप दो
- फिज़ियोलॉजी के लिए माइनस 5 पद खाली बताए गए.
- संस्कृत में माइनस 4 पद, संगीत विषय के लिए माइनस में 10 (-10) पद दिखाए गए
- होम साइंस विषय में माइनस 16 पद खाली बिताए गए
- ऐसा शायद पहली बार है कि खाली पदों से ज़्यादा भर्तियां पहले ही हो चुकी हैं.
आरोप तीन
- उर्दू में 9 पदों के लिए भर्ती होनी थी लेकिन 10 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया.
- हैरानी इस बात से भी है कि एक्ज़ाम का नतीजा निकल जाने के बाद 6 और नए पद सृजित कर दिए गए.
- 24 अगस्त को एक नया विज्ञापन जारी करके 6 पोस्ट जारी की गईं.
आरोप है कि एमपी पीएससी में गड़बड़ियों को छिपाने की भी भारी कोशिश की गई.
मामले में शिकायतकर्ता का कहना है कि परीक्षा नियमों में बार बार हो रहे
संशोधन सवाल खड़े कर रहे हैं. एक्ज़ाम होने के बाद भी संशोधन होते रहे.
एमपी पीएससी ने कुल 19 बार नियमावली में संशोधन किया शिकायतकर्ता अब कोर्ट
की शरण लेने की बात कर रहे हैं.
मामले में कांग्रेस का कहना है कि बड़े पैमाने पर धांधली को अंजाम दिया गया
है. ऐसे में इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए औऱ जो मुख्यमंत्री कहते थे कि
भर्ती परीक्षाओं को पारदर्शी बनाया जाएगा उन्हें इस बड़े खुलासे के बाद
इस्तीफा दे देना चाहिए.
वहीं बीजेपी ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है. बीजेपी के मुताबिक एमपी
पीएससी एक स्वायत्त संस्था है और इसके प्रबंधन को लेकर किसी तरह से सरकार
पर सवाल नहीं खड़े किए जा सकते. पीएससी को खुद अपने नियमों को लेकर
पारदर्शिता बरतनी चाहिए.
हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब किसी भर्ती परीक्षा कराने वाली संस्था पर
गंभीर आरोप लगे हों. एमपी पीएससी में भर्ती प्रक्रिया को लेकर हाल में
जदगीश सागर की डायरी ने भी हंगामा मचाया था लेकिन उसके बाद भी पीएससी की
भर्ती परीक्षा में धांधलियां लगातार जारी हैं. अब ये गलती है या गुनाह जांच
के बाद ही खुलासा हो सकेगा.