शुक्रवार से स्कूलों में ई अटेंडेंस व्यवस्था लागू हो गई। इसमें शिक्षकों
को एम शिक्षा मित्र एप के जरिए स्कूल पहुंचने और छुट्टी के वक्त अटेंडेंस
लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
दूसरी ओर इस व्यवस्था का तीखा विरोध भी
शुरू हो गया है। सभी कर्मचारी संगठन इस व्यवस्था के खिलाफ एकजुट हो गए और
उन्होंने सीएम के नाम प्रशासन को ज्ञापन दिया। दूसरी ओर इस व्यवस्था को कम
से कम पहले दिन अधिकांश शिक्षकों ने नजरअंदाज कर दिया। एम शिक्षा मित्र एप
डेश बोर्ड पर अटेंडेंस के जो आंकड़े जारी हुए हैं, उसके मुताबिक पहले दिन
33 फीसदी शिक्षकों ने ही इसका इस्तेमाल किया। इनमें भी 50 फीसदी शिक्षकों
ने चेकआउट छुट्टी के वक्त इस पर उपस्थिति नहीं दी। आंकड़ों के मुताबिक कुल
6309 शिक्षकों में से 2145 ने ही इस एप का इस्तेमाल किया। 4164 शिक्षकों ने
इसे नजरअंदाज किया।
इन संगठनों के पदाधिकारी पहुंचे ज्ञापन देने : कर्मचारी कांग्रेस, मप्र
राज्य कर्मचारी संघ, अजाक्स, संयुक्त मोर्चा, शिक्षक संघ, अपाक्स।
अकेले शिक्षकों पर ई-अटेंडेंस व्यवस्था थोपने का विरोध
संगठन बोले-इस व्यवस्था को लागू नहीं होने देंगे
अध्यापक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि जिन 33
फीसदी शिक्षकों ने इसका इस्तेमाल किया, उनमें से 90 फीसदी शहर या आसपास के
इलाकों में पदस्थ होंगे। राज्य अध्यापक संघ के नरेंद्र भार्गव ने कहा कि
हाल ही में सीएम ने मंदसौर में हुए कार्यक्रम के दौरान एक बार फिर दोहराया
है कि इस व्यवस्था को लागू नहीं होने देंगे। श्री भार्गव ने कहा कि सीएम
पहले भी वादे करके उन्हें भूल चुके हैं। हमारी मांग है कि इस संबंध में
शासन की ओर से स्पष्ट दिशा निर्देश जारी हों।
ज्ञापन में यह वजह बताईं विरोध की
1. ग्रामीण इलाकों में नेटवर्किंग की समस्या
2. पदस्थापना स्थल पर महिला शिक्षकों के रहने का इंतजाम न होना, जिससे वे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाती हैं।
3. कई शिक्षक स्मार्ट फोन व एप का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें इसके लिए ट्रेनिंग नहीं दी गई
4. अगर मोबाइल डिस्चार्ज हो जाए तो गांव में पुन: चार्ज करना संभव नीं
5. सर्वर पर अधिक दबाव आने पर उपस्थिति दर्ज करने में 30 से 40 मिनट तक लग सकते हैं
6. अकेले शिक्षकों पर ही यह व्यवस्था थोपा जाना।
यह थे मौजूद
राजेंद्र रघुवंशी, नरेंद्र सिंह कुशवाह, भगवत प्रसाद ओझा, गिरधारी
लाल सेन, महेश जैन, बसंत खरे, राजेंद्र सिंह गुजराती, सत्य प्रकाश शर्मा,
रणवीर सिंह कुशवाह, शराफत पठान, जय सिंह सिकरवार।