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अध्ययन में आया सामने, क्यों नहीं सुधर रही उच्च शिक्षा की गुणवत्ता

उज्जैन. विश्वविद्यालय स्ववित्तीय पाठ्यक्रम संविदा व अतिथि विद्वान के भरोसे संचालित हो रहे हैं। यह समस्या सभी जगह है। विवि में रिक्त पदों की संख्या भी काफी ज्यादा है।
गुणवत्ता युक्त शिक्षा बिना शिक्षक के संभव नहीं है, इसलिए विश्वविद्यालय में अभियान चलाकर रिक्त पदों पर नियुक्ति करने की आवश्यकता है, ताकि विवि संस्थान और अध्ययनशालओं की समस्या खत्म हो सके। यह सुझाव उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से शिक्षकों की कमी के चलते उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहे प्रभाव का अध्ययन रिपोर्ट में दिया गया है। यह रिपोर्ट विश्वविद्यालय समन्वय समिति के सामने प्रस्तुत हो चुकी है।
स्ववित्तीय कोर्स चल रहे शिक्षक बिना
उज्जैन के मध्य प्रदेश सामाजिक शोध संस्थान के निर्देशक यतीद्र सिंह सिसौदिया के माध्यम से उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी से शिक्षा पर बढ़ रहे प्रभाव का अध्ययन करवाया। इस अध्ययन में स्ववित्तीय पाठ्यक्रम पर ध्यान दिया गया। अध्ययन दल ने विभाग को कहा कि स्ववित्तीय पाठ्यक्रम पूरी तरह से संविदा व अतिथि विद्वानों के भरोसे हैं। इस कारण से संस्थानों में कई समस्या भी है। वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया काफी जटिल है। इसलिए स्ववित्तीय पाठ्यक्रम के लिए नई नीति बनाने की आवश्यकता है। हालांकि उच्च शिक्षा विभाग ने उक्त प्रस्ताव को खारिज करते हुए। विश्वविद्यालय अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर समस्या खत्म करने की बात कही है।
यह है विक्रम विवि के हालात

विक्रम विवि में करीब १५६ स्थाई शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से करीब ८० पद पर शिक्षक कार्यरत हैं। स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों के रूप में वाणिज्य विभाग में बीबीए, बीकॉम ऑनर्स, बीई, सहित अन्य कोर्स संचालित है। स्थिति यह है कि एसओईटी (बीई), वाणिज्य विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है। फॉर्मेसी में दो शिक्षक हैं। कम्प्यूटर साइंस विभाग में शिखकों की कमी से जूझ रहा है। वहीं अतिथि विद्वानों के चयन और फिर काम पर नहीं आने, संस्थान में राजनैतिक गतिविधियों को अंजाम देने से भी कई समस्या खड़ी होती है।

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