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सरकार पहले सातवां वेतनमान दे, बैठक में बोले पदाधिकारी

भोपाल। सातवें वेतनमान में हो रही देरी पर असंतोष बढ़ गया है। अधिकारी, कर्मचारी संगठन आर-पार की लड़ाई के मूड़ में हैं। मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ के पदाधिकारियों ने रविवार को सरकार पर एकतरफा हमला बोला। उनका कहना है कि सरकार पहले सातवां वेतनमान देने का वादा पूरा करें।
विसंगति तो बाद में भी दूर होती रहेगी। संघ के पदाधिकारी सेकंड स्टॉप स्थित कार्यालय में हुई प्रदेश स्तरीय बैठक में बोले रहे थे।
संघ के अध्यक्ष अमर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त को लाल परेड ग्राउंड में कहा था कि केंद्र जिस दिन से सातवां वेतनमान लागू करेगा राज्य भी उसी दिन से सातवें वेतनमान का लाभ देगा। केंद्र 1 जनवरी से सातवां वेतनमान लागू कर चुका है। फिर भी राज्य में यह लागू नहीं हुआ। इससे कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। संघ के प्रांतीय संयोजक एमके सक्सेना ने कहा कि उत्तरप्रदेश पहले ही सातवां वेतनमान दे चुका है। वहां कर्मचारियों को नए वेतनमान पर 2 प्रतिशत डीए भी मिल चुका है।
जूनियर व्याख्याताओं को लाभ, सीनियरों को भूले
बैठक में प्रदेश के तीन हजार पदोन्न्त व्याख्याताओं को द्वितीय उच्चतर वेतनमान नहीं मिलने का मुद्दा भी उठा। जिस पर संघ के पदाधिकारियों ने ब्यूरोक्रेट्स द्वारा लगाए जा रहे अड़ंगों पर आपत्ति ली। एमके सक्सेना ने कहा अप्रैल 2008 में वित्त विभाग ने द्वितीय उच्चतर वेतनमान देने के निर्देश दिए थे जो सभी विभागों में लागू हो गए।
लेकिन तीन हजार पदोन्न्त व्याख्याताओं पर यह लागू नहीं हुआ। जबकि सीधी भर्ती से व्याख्याता बने सभी व्याख्याताओं को यह लाभ दिया गया है। पदोन्न्त व्याख्याता सीधी भर्ती से आए व्याख्याताओं से सीनियर है। फिर भी उन्हें लाभ नहीं मिला। इसके लिए स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह भी पूर्व में विभाग को पत्र लिख चुके हैं।

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