Important Posts

Advertisement

सम्मानित शिक्षक बोले: इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला लागू करो

भोपाल। शिक्षक दिवस पर सम्मानित होने वाले शिक्षक इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला लागू करने के पक्ष में हैं। शिक्षकों का कहना है कि जब तक शिक्षक से गैर शैक्षणिक कार्य कराए जाएंगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का ढर्रा नहीं सुधरेगा। वे कहते हैं कि पढ़ाई सुधारना है, तो शिक्षक को शिक्षक ही रहने दें।
शिक्षकों का कहना है कि राज्य में पढ़ाई सेकेंडरी हो गई है। शिक्षकों से दूसरे कार्य प्राथमिकता से कराए जा रहे हैं। इसलिए पढ़ाई का स्तर गिर रहा है। वे मानते हैं कि विभाग कोई भी दावा करे, लेकिन हम पढ़ाई में दूसरे राज्यों से बेहतर नहीं हैं। शिक्षकों ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई सुधारने के लिए मंत्री, विधायक, जज, नेता, अधिकारी और सरकारी कर्मचारियों के बच्चों का सरकारी स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
किसने क्या कहा
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। गैर शैक्षणिक कार्य जरूरी हो गए हैं। इसलिए पढ़ाई का ढर्रा बिगड़ रहा है। अधिकारियों के बच्चे स्कूल में पढ़ें, तो व्यवस्थाओं में सुधार जरूर आएगा।
गिरीश सारस्वत, व्याख्याता, उत्कृष्ट उमावि रतलाम
शासन को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि शिक्षक सिर्फ पढ़ाए। अन्य कार्यों के लिए दूसरे कर्मचारियों की नियुक्ति की जाना चाहिए। यदि शिक्षकों को सिर्फ पढ़ाने का जिम्मा होगा, तो उससे रिजल्ट के बारे में पूछने का भी अधिकार रहेगा।
डॉ. बीएल मिश्रा, शिक्षक, कन्या उमावि ब्यौहारी बाग जबलपुर
शिक्षक को शिक्षक ही रहने दें। उसे कर्मचारी बनाया जा रहा है और शिक्षक किसी हद तक कर्मचारी बन भी गया है। इसी कारण सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर गिर रहा है। शासन ही शिक्षक का खोया सम्मान लौटा सकता है और पढ़ाई का स्तर सुधार सकता है।
राम आशीष पांडे, शिक्षक, शा.मा.शा. घुघवासा होशंगाबाद
सरकारी स्कूलों की पढ़ाई ठीक करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला लागू कर देना चाहिए। 5वीं-8वीं को बोर्ड करना भी जरूरी है। हर शिक्षक काम करना चाहता है, लेकिन काम करने नहीं दे रहे। वैसे भी हमारे पास कमजोर बच्चे आते हैं। जिन्हें स्पेशल अटेंशन की जरूरत है।
रविकुमार द्विवेदी, शिक्षक, प्राइमरी स्कूल गडरियान सूखा ब्यौहारी शहडोल


सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening

UPTET news

Facebook