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मध्य प्रदेश में शिक्षा संकट गहराया: 4,128 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक, 5,179 स्कूलों में 10 से भी कम छात्र

 मध्य प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। प्रदेश में हजारों ऐसे स्कूल हैं, जहां न तो पर्याप्त शिक्षक हैं और न ही बच्चों की संख्या। इसी वजह से सरकार सत्र 2026-27 तक बड़े पैमाने पर स्कूलों को बंद करने या उनका विलय करने की तैयारी में है।

4,128 स्कूलों में केवल एक शिक्षक
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 4,128 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक ही शिक्षक पदस्थ है। एक शिक्षक पर कई कक्षाओं की जिम्मेदारी होने से न तो पढ़ाई की गुणवत्ता बन पा रही है और न ही बच्चों पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जा पा रहा है।

5,179 स्कूलों में 10 से भी कम बच्चे
आंकड़े यह भी बताते हैं कि 5,179 स्कूलों में 10 से कम छात्र नामांकित हैं। इतना कम नामांकन होने से इन स्कूलों को चलाना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जहां छात्र संख्या शून्य या लगभग शून्य तक पहुंच चुकी है।

2026-27 तक करीब 5,000 स्कूल बंद होने की संभावना
कम नामांकन और संसाधनों के असंतुलन को देखते हुए सरकार करीब 5,000 सरकारी स्कूलों को बंद या मर्ज करने की योजना पर काम कर रही है। इन स्कूलों के छात्रों को नजदीकी अन्य विद्यालयों में शिफ्ट किया जाएगा, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके।

ग्रामीण इलाकों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
इस फैसले का सबसे अधिक असर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों पर पड़ने की आशंका है, जहां पहले से ही स्कूलों की दूरी और परिवहन एक बड़ी समस्या है। स्थानीय लोगों को चिंता है कि स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई छूटने और ड्रॉप-आउट बढ़ने का खतरा और गहरा सकता है।

सरकार का तर्क: संसाधनों का बेहतर उपयोग
सरकार का कहना है कि बेहद कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को अलग-अलग चलाना व्यावहारिक नहीं है। स्कूलों के विलय से शिक्षकों की तैनाती संतुलित होगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकेगा।

विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि स्कूल बंद करना समाधान नहीं, बल्कि नामांकन बढ़ाने, शिक्षक भर्ती और बुनियादी सुविधाएं सुधारने पर जोर दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि अगर जमीनी स्तर पर सुधार नहीं हुआ, तो शिक्षा व्यवस्था और कमजोर हो सकती है।

निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में हजारों स्कूलों में एक शिक्षक और बेहद कम छात्र होना शिक्षा तंत्र की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। आने वाले वर्षों में यह तय करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी कि स्कूल बंद करने से शिक्षा सुधरेगी या इससे बच्चों का भविष्य और संकट में पड़ जाएगा।

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