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अतिथि शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने हाईकोर्ट ने सरकार से पूछी ये बात

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया कि राज्य सरकार अभी भी अतिथि शिक्षकों को श्रमिकों से भी कम वेतन दे रही है।
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला को जब यह जानकारी दी गई कि इन अतिथि शिक्षकों को 100 रुपए दिन के हिसाब से मानदेय मिलता है तो कोर्ट हैरान हो गई। सरकार से कोर्ट ने पूछा कि इतनी कम राशि में ये शिक्षक घर कैसे चलाते हैं? सरकार से 26 सितंबर तक जवाब मांगा गया।
100 रुपए दिन में कैसे घर चला रहे अतिथि शिक्षक ? 6 दिन में बताओ
यह है मामला
प्रदेश भर के 774 अतिथि शिक्षकों ने तीनों खंडपीठों के समक्ष दायर याचिकाओं में कहा कि वे बीते कई सालों से सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। जुलाई 2018 में सरकार ने अतिथि शिक्षकों की नयी भर्ती करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए। इसी आदेश को याचिकाओं में चुनौती दी गई है। अंतरिम राहत मांगी गई है कि उक्त पदों पर नियमित नियुक्ति न होने तक याचिकाकर्ताओं को पूर्ववत कार्य करते रहने दिया जाए। मुख्यपीठ से लगभग तीन सौ याचिकाकर्ताओं को यह अंतरिम राहत मिल भी चुकी है। बुधवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता बृंदावन तिवारी, शशांक शेखर, सत्येंद्र ज्योतिषी, राजेश दुबे ने याचिकाकर्ताओं को न्यूनतम से भी कम वेतन मिलने का मसला उठा दिया।

इस पर डिवीजन बेंच सरकार से कहा कि पहले तो अतिथि शिक्षकों को न्यूनतम वेतनमान दिया जाए। क्योंकि 100 रुपया प्रतिदिन में परिवार नहीं चल सकता। महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने कहा कि अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने से प्रदेश सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा। कोर्ट ने उनकी बातों से सैद्धांतिक असहमति जताई। कोर्ट ने कहा कि पहले याचिकाकर्ताओं के मानदेय का निर्धारण होगा उसके बाद उनकी याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी।

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