जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के सरकारी
स्कूलों में अध्यापन कार्य कर रहे 80 हजार अतिथि शिक्षकों को कम वेतन दिए
जाने पर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया।
मामले पर बुधवार को सुनवाई के
दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि टीचर्स तो फाउंडेशन होते हैं तो फिर
उन्हें श्रमिकों से भी कम वेतन क्यों दिया जा रहा है।
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने महाधिवक्ता
पुरुषेन्द्र कौरव से पूछा कि सरकार इसके लिए क्या कदम उठा रही है। कौरव ने
जवाब पेश करने एक सप्ताह की मोहलत मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।
एक मामले की 730 याचिकाएं
प्रदेश भर से करीब 730 अतिथि शिक्षकों ने याचिकाएं दायर कर कम वेतन,
उन्हें हटाकर नई भर्ती करने और प्रतिवर्ष उनका स्कूल बदलने जैसे नियम को
चुनौती दी है। याचिका में मांग की गई है कि उनकी नियमित भर्ती की जाए और
भर्ती प्रक्रिया में उन्हें भी शामिल किया जाए।
कोर्ट ने कहा ये शोषण है
मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर संज्ञान लिया कि अतिथि
शिक्षकों को 100, 150 और 180 रुपए प्रति कार्यदिवस के हिसाब से वेतन दिया
जाता है। ये वेतन न्यूनमत मजदूरी 274 रुपए से भी कम है। कोर्ट ने कहा कि ये
तो शोषण है। इस मामले में पूर्व में कोर्ट ने अतिथि शिक्षकों को हटाने पर
रोक लगाई थी।