मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों के अतिथि शिक्षकों को महज़ 100 रुपए प्रति दिन के हिसाब से तनख्वाह मिलती है. ये जानकर जबलपुर हाईकोर्ट
ने नाराज़गी जताते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने राज्य
सरकार को आदेश दिया है कि वो अतिथि शिक्षकों को कम से कम न्यूनतम वेतन या
मज़दूरों से ज्यादा वेतन तो दे.
हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा है और अगली सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तारीख़ तय की है.
जबलपुर हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश के हज़ारों अतिथि शिक्षकों ने करीब 700
याचिकाएं दायर की हैं. इनमें अतिथि शिक्षकों की ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया पर
रोक लगाने और बरसों से पढ़ा रहे अतिथि शिक्षकों को पढ़ाने का फिर मौका देने
की मांग की गई है. याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने
राज्य सरकार से पूछा कि वो अतिथि शिक्षकों को कितना वेतन देती है. जवाब में
जब सिर्फ 100 रुपए प्रतिदिन वेतन बताया गया तो हाईकोर्ट ने इतने कम वेतन
पर हैरानी के साथ नाराज़गी भी जताई.
मध्यप्रदेश के 51 ज़िलों के सरकारी स्कूलों में करीब 70 हज़ार अतिथि
शिक्षकों के पद हैं. हर साल ये पद स्थानीय और स्कूल स्तर पर इंटरव्यू के
ज़रिए भर लिए जाते थे लेकिन इस बार राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को
ऑनलाइन कर दिया. इसमें आए लाखों आवेदनों के बाद ऐसे अतिथि शिक्षकों को
नौकरी नहीं मिल पायी, जो नियमित होने की आस में बरसों से एक ही स्कूल में
पढ़ा रहे थे.
इसके
खिलाफ दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने पहले सुनवाई करते हुए अतिथि शिक्षकों
की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. अब मामले की अगली सुनवाई 26
सितंबर तक जारी रहेगी. हाईकोर्ट के आदेश पर अब राज्य सरकार 26 सितंबर को
अपना जवाब पेश करेगी जिसमें उसे बताना होगा कि वो अतिथि शिक्षकों को
न्यूनतम कितना वेतन देगी.