मध्य प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार तमाम कोशिश कर रही
है लेकिन शिक्षा के मामले में प्रदेश का एक भी जिला एक्सीलेंस नहीं है.
प्रदेश भर में एक भी जिला ऐसा नहीं है जिसे 'ए' ग्रेड दिया जा सकें.
करोड़ों रूपए बजट खर्च करने के बाद भी शिक्षा के मामले में प्रदेश फिसड्डी
है.
एमपी के कई जिलों में ग्रामीण इलाकों में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार दांवे तो तमाम करती है, लेकिन जमीनी हकीकत पर बदलाव दूर-दूर तक नजर ही नहीं आते हैं. सुविधाओं के अभाव में बच्चे
पढ़ाई करने को मजबूर हैं. यहीं वजह है कि प्रदेश का एक भी जिला शिक्षा के
बेहतर स्तर पर नहीं है. बता दें कि स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक है ना तो स्कूलों
में सुविधाएं है. प्रदेश का एक भी जिला एक्सीलेंस नहीं बन पाया है. एक भी
जिला करोड़ों रुपए के बजट खर्च करने के बाद भी ए ग्रेड हासिल नहीं कर पाया
है.
प्रदेश के शिक्षा के स्तर में पांचों संभाग फिसड्डी
सागर,जबलपुर,भोपाल,इंदौर,ग्वालियर संभाग फिसड्डी
60 से 75 फीसदी मिलने पर मिलता है बी ग्रेड
भोपाल-'बी' ग्रेड
इंदौर-बी ग्रेडसागर-'बी' ग्रेड
जबलपुर-'बी' ग्रेड
ग्वालियर-'बी' ग्रेड
सागर-'बी' ग्रेड
ग्रेड सुधारने के लिए प्रदेशभर के तमाम जिला शिक्षा अधिकारी को दो दिनों तक
प्रशिक्षण भी दिया गया. आने वाले दो से तीन महीनों में अपने जिलों के
ग्रेड सुधारने के लिए निर्देश भी दिए गए. कम सुविधा के बाद भी सागर, देवास,
नीमच, मंदसौर के जिलों में ग्रेड कम आने के बाद भी रिजल्ट अच्छा रहा. जिला
शिक्षा अधिकारियों को इन जिलों का उदारण देकर शिक्षा को बेहतर बनाने टिप्स
भी दिए गए. छात्र-छात्राओं के भविष्य को संवारने और ग्रेड सुधारने के लिए
जिला शिक्षा अधिकारियों को दो से तीन महीने की समय भी दिया गया है. जिससे
प्रदेश का कम से कम एक जिला तो सही शिक्षा के मामले में एक्सीलेंस बन सकें.