भोपाल: मध्य प्रदेश
में अध्यापकों को शिक्षक बनाने अर्थात एक काडर-एक विभाग के नाम पर राज्य
सरकार की घोषणा और उसे लेकर अपनाई जा रही प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं.
सवाल यह भी है कि क्या सरकार इस प्रक्रिया के जरिए अध्यापकों को शिक्षक बनाने का मामला
चुनाव आचार संहिता के लागू होने तक लटकाए रखना चाहती है, या सिर्फ चुनावी
लाभ के लिए यह घोषणा की गई है.
राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश
यादव का कहना है, "जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है. वह काफी जटिल है. उदाहरण
के तौर पर दस्तावेजों का सत्यापन अलग-अलग स्तर पर होगा. सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक)
का अपगड्रेशन होगा, पैन नंबर, आधार कार्ड, ई-मेल, शैक्षणिक योग्यता पोर्टल
पर डाउनलोड होगी. शिविर लगाए जाएंगे, दस्तावेजों की जांच होगी, संकुल
प्राचार्य (विद्यालय समूह) व अन्य अधिकारी दस्तावेजों की जांच व क्रॉस चेक
होगा."
20 साल से सेवाएं दे रहे अध्यापकों की जांच की जरूरत नहीं
यादव सवाल करते हैं, "जब सेवा पुस्तिका का अपगड्रेशन हो चुका है तो दोबारा
उसकी आवश्यकता क्या है. अध्यापक 20 साल से सेवाएं दे रहे हैं, तो अब उनके
शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच, क्रॉस चेक की जरूरत क्यों पड़ रही है.
क्या जो सेवा में हैं, वे फर्जी तरीके से भर्ती हुए हैं. सच्चाई यह है कि
जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह उलझाने और समय को खराब करने के लिए है."
गौरतलब है कि सरकार की तरफ से अध्यापकों का स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षकों
से अलग काडर बनाने की अधिसूचना जारी की गई. इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग
द्वारा संविलियन (समायोजन) की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी कर दिया
गया है, मगर उस प्रक्रिया में जो खामियां नजर आ रही हैं, वह इस बात का साफ
संकेत है कि यह प्रक्रिया जल्दी पूरी नहीं होने वाली है. सरकार ने शिक्षकों
का एक काडर बनाने का वादा किया था, मगर अधिसूचना में अध्यापकों का अलग
काडर बनाया गया है.
नगर निकाय और पंचायत विभग के अधीन हैं अध्यापक
राज्य में ये अध्यापक नगर निकाय और पंचायत विभाग के अधीन कार्यरत हैं.
अध्यापकों की लंबे अरसे से मांग रही है कि उनका स्कूल शिक्षा विभाग में
संविलियन किया जाए और शिक्षकों का भी एक काडर हो. इसका आशय है कि जो
सुविधाएं व वेतन लाभ स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षकों को मिलता है, वहीं
उन्हें मिले. यादव ने स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया की
निंदा करते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया की जटिलता से लगता है कि सरकार
अध्यापकों को शिक्षक बनाना नहीं चाहती है. उन्होंने संविलियन को 25 अगस्त
तक पूर्ण करने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि 25 अगस्त तक कार्यवाही
पूरी नहीं की गई तो मध्यप्रदेश के लाखों अध्यापक सामूहिक अवकाश पर जाने के
लिए विवश होंगे.
यादव ने लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त को पत्र लिख सुझाव दिया है कि
संकुल प्राचार्य के माध्यम से कार्यरत समस्त अध्यापक संवर्ग की सूची
जानकारी सहित जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में बुलाई जाए और वहां से आदेश
जारी करने हेतु संयुक्त संचालक, शिक्षा विभाग के संचालक आदि को भेजी जाए.