जबलपुर. केंट बोर्ड के स्कूलों में संविदा शिक्षकों की
तैनाती ठेका एजेंसी के जरिए किए जाने के नियम पर विवाद बढ़ता जा रहा है।
इस प्रक्रिया पर आपत्ति लेते हुए बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर अरुण सभरवाल
ने मध्यकमान के प्रिंसीपल डायरेक्टर (पीडी) कार्यालय को पत्र लिखा था।
जवाब
में प्रतिष्ठित एजेंसी के जरिए ही शिक्षकों की भर्ती करने के आदेश से
मामला गरमा गया है। अब बोर्ड के अध्यक्ष अपनी आपत्तियों पर गम्भीरता दिखाने
के लिए पुन: पत्र भेजने की तैयारी में हैं। यह मुद्दा पिछली बोर्ड बैठक
में आया था। अभी केंट बोर्ड के जितने भी स्कूल हैं, उनमें नियमित शिक्षकों
के अलावा 10 से 11 महीनों के लिए संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है।
इन्हें भी श्रमिकों की तरह ठेका एजेंसी के जरिए लाने का नियम है। इस पद्धति
को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ और शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होने की
आशंका पर बोर्ड अध्यक्ष ब्रिगेडियर सभरवाल ने आपत्ति की थी। उनका कहना था
कि एजेंसी जो शिक्षक लाती है, उसके ऐसे कोई मापदंड नहीं हैं, जिन्हें उचित
कहा जा सके।
शिक्षा समिति करती है चयन
ठेका एजेंसी शिक्षक
लेकर आती है। केंट बोर्ड की शिक्षा समिति उनके नामों को फाइनल करती है।
समिति में केंट बोर्ड के उपाध्यक्ष, पार्षद के अलावा केंट के अधिकारी शामिल
होते हैं। लेकिन, कोई काउंसलर नहीं होता। चयन के समय केंट बोर्ड के
अध्यक्ष के शामिल होने की व्यवस्था भी नहीं है। कई बार ठेकेदार के
रिश्तेदारों या परिचितों को भी लेने के आरोप सामने आए हैं। मामला जारी रहने
के बीच हाल में निकाली गई भर्ती प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है।
पांच स्कूल, 70 से अधिक शिक्षक
केंट बोर्ड अभी
लगभग पांच स्कूलों का संचालन करता है। इनमें करीब 30 नियमित शिक्षक हैं।
करीब 60 शिक्षकों को संविदा आधार पर रखा जाता है। अभी स्कूलों का वार्षिक
परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं होता। इसी तरह इन शिक्षकों का वेतन भी
पर्याप्त नहीं होता। ठेकेदार इन्हें उपलब्ध करवाता है तो कम से कम वेतन पर
इनकी तैनाती करवाता है। ऐसे में उच्च श्रेणी के शिक्षक नहीं आते।
प्रधान निदेशक कार्यालय के पत्र में प्रतिष्ठित एजेंसी से शिक्षक लेने
की बात कही गई है। पुन: पत्र लिखकर पद्धति में बदलाव का सुझाव दिया जाएगा।
ब्रिगेडियर अरुण सभरवाल, अध्यक्ष केंट बोर्ड