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हासे और हाईस्कूलों में व्याख्याता के 1110 पद रिक्त, अब रखे जाएंगे अतिथि शिक्षक

विषय वार शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से क्लास नहीं लग पा रही है।

कला संकाय में भी व्याख्याताओं का टोटा


जिले के किसी भी हायर सेकंडरी स्कूल में वाणिज्य विषय का एक भी शिक्षक पदस्थ नही है। स्वीकृत 35 पदों में से भी पद खाली चल रहे हैं। हिन्दी में 56, इतिहास में 39, राजनीति शास्त्र में 31, अर्थशास्त्र में 43, कृषि में 11, होम साइंस में 03, भूगोल में 49 व समाज शास्त्र में 06 व्याख्याताओं के पद खाली हैं।

हाईस्कूल में चाहिए 477 विषयवार शिक्षक

जिले के 94 हाईस्कूलों में विषयवार शिक्षकों के 477 पद खाली हैं। लगभग आठ विषयों में व्याख्याताओं की कमी के कारण कक्षा नौ व दस में अध्यापन की व्यवस्थाएं प्रभावित हैं। हिन्दी 60, अंग्रेजी में 72, संस्कृत में 69, गणित में 58, साइंस में 53, सोशल साइंस में 15, आर्ट में 56 व बायलॉजी में 94 पद खाली हैं।

पसंद के स्कूलों के लिए की च्वाॅइस फिलिंग

व्याख्याताओं के रिक्त पदों के एवज में स्कूल शिक्षा विभाग ने अतिथि शिक्षकों को अध्यापन सेवाओं में रि-कॉल किया है। इस तारतम्य में शुक्रवार को पूर्व में सेवाएं दे चुके अतिथि शिक्षकों ने पसंद के स्कूलों में नियुक्ति के लिए ऑनलाइन च्वाइस दी। ऐसा बताया जा रहा है कि 24 जुलाई तक अतिथि शिक्षकों के नियुक्ति पत्र ऑनलाइन जारी किए जाएंगे।

स्कूलों में 100 से अधिक प्राचार्यों के पद खाली

जिले के 175 हायर सेकंडरी व हाईस्कूलों में से 103 में प्राचार्य की पदस्थापना नहींं है। ऐसे स्कूलों में सीनियर टीचर्स को प्राचार्य के चार्ज दे दिए हैँ। शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 46 हायर सेकंडरी स्कूलों में बीते दो साल से प्राचार्य के पद खाली हैं। 57 हाईस्कूलों को भी स्थाई प्राचार्य की दरकार है। हायर सेकंडरी में 35व हाईस्कूलों में 37 स्थाई प्राचार्य पदस्थ हैं। प्राचार्यों की कमी के कारण 100 से अधिक स्कूलों की व्यवस्थाएं प्रभावित हैं।

साइंस समूह में व्याख्याताओं की कमी

हायर सेकंडरी स्कूलों में साइंस संकाय के शिक्षकों की कमी को स्कूल शिक्षा विभाग बीते तीन साल में पूरी नहीं कर सका है। इसके चलते गणित के 58, बायोलॉजी के 64, फिजिक्स के 56 व कैमिस्ट्री के 53 व अंग्रेजी के 65 शिक्षकों की कमी है। इस कमी का असर चालू शिक्षा सत्र में अध्यापन से लेकर बोर्ड परीक्षाओं के बाद उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य पर देखा जाता है। लेकिन इस पर स्कूल शिक्षा विभाग गंभीर नहीं है।

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