मप्र शिक्षक कांग्रेस कार्यकारी प्रांताध्यक्ष रामनरेश त्रिपाठी के नेतृत्व
में एम शिक्षा मित्र एप के संबंध में प्रतिनिधि मंडल ने स्कूल शिक्षा
विभाग प्रमुख सचिव से मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख सचिव को एम
शिक्षा मित्र एप से शिक्षकों की उपस्थिति का कड़ा विरोध कर बताया कि यह
प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। इसकी सुनवाई 19 अप्रैल 2018 को है। इसके
बावजूद एप से शिक्षकों की उपस्थिति लागू की जाना न्यायालय की अवमानना
होगी। शासन की इस नीति से शिक्षकों में गहरा असंतोष व्याप्त हो रहा हैं।
साथ ही शिक्षकों के प्रति सरकार की यह अविश्वसनीयता काफी नुकसानदायक सिद्ध
होगी। यह जानकारी प्रांताध्यक्ष ने दूरभाष पर प्रांतीय महासचिव
स्वरूपनारायण चतुर्वेदी को देकर शिक्षकों के हित में संघर्ष जारी रखने काे
कहा हैं। चतुर्वेदी ने प्रांताध्यक्ष को बताया कि पूर्व में इस नीति का
विरोध किया गया था और प्रदेश के मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री को पत्र के
माध्यम से भी उनके द्वारा अवगत कराकर ई अटेंडेंस से शिक्षकों के समक्ष
कवरेज की शून्यता, मोबाइल बैटरी डिस्चार्ज होने, खराब होने सहित विभिन्न
समस्याएं आएगी। जिससे शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़ेगा। एक
तरफ सरकार शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता के रूप में देखती हैं, वहीं
प्रयोगवादी नीतियों को अपना कर राष्ट्र निर्माताओं के चरित्र पर शंका कर
रही हैं। शिक्षा के स्तर व गुणवत्ता के पतन का कारण वातानुकूलित कक्षों में
बैठे नीतिनिर्धारक हैं। जिलाध्यक्ष अनिल नामदेव, जिला सचिव बृजेश व्यास,
जिला कोषाध्यक्ष बी.एल. राजपुरोहित, तहसील अध्यक्ष सुरेंद्रसिंह रघुवंशी ने
एम शिक्षा मित्र से शिक्षकों की उपस्थिति मान्य करने के आदेश पर रोक लगाने
की मांग मुख्यमंत्री से की हैं।