भोपाल। अतिथि शिक्षक
एक बार फिर मध्यप्रदेश सरकार की टेंशन बढ़ाने जा रहे हैं। लगातार किए जा
रहे आंदोलनों का सरकार पर प्रभाव नहीं पड़ते देख शिक्षकों ने अपनी रणनीति
में एक बड़ा बदलाव किया है।
इसके तहत अब ये अतिथि शिक्षक 24 और 25 फरवरी को राजधानी भोपाल में आ रहे
हैं। यहां वे मुंडन करवाने के अलावा खून के दिए जलाकर सरकार की नीतियों का
विरोध करेंगे।
अतिथि शिक्षकों ने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया है। इसके अलावा
शिक्षकों का कहना है कि सरकार उन्हें किसी भी ग्राउंड में धरने की परमिशन
नहीं दे रही है। ऐसे में अतिथि शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें
धरने की परमिशन नहीं मिली, तो ये आंदोलन सड़कों पर चारों ओर होगा। अतिथि
शिक्षकों के इस आंदोलन में सयुक्त मोर्चा भी शामिल रहेगा। इसके तहत "घेर
डालो डेरा डालो आन्दोलन" छेड़ा जाएगा।
पूर्व में चुका है ये...
दरअसल
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में चल रहे
अतिथि शिक्षकों के विरोध को अब एक मजबूत समर्थन मिल गया है। दरअसल अपनी
मांगों को लेकर इन दिनों ये अतिथि शिक्षक कक्षाओं तक का बहिष्कार कर रहे
हैं, पिछले दिनों भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में इन शिक्षकों के समर्थन
में छात्र भी उतर आए। जिसके चलते इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है।
जानकारों का मानना है कि यदि यही स्थिति रही तो सरकार को काफी चिंतित होने
की आवश्यकता है।
ये है मामला...
अतिथि शिक्षकों का धरना आंदोलन काफी
दिनों से चल रहा है। मांग का निराकरण होने के बाद ही आंदोलनकारी अतिथि
शिक्षक आंदोलन को समाप्त कर कार्य पर लौटने की बात कर रहे हैं।
गुरुजियों के समान विभागीय परीक्षा लेकर वर्ग एक, दो, तीन के अनुसार
यथावर्ग संविदा शिक्षक बना कर नियमित किए जाने की एक सूत्रीय मांग को लेकर
जिले भर के अतिथि शिक्षकों के साथ ही सिलवानी ब्लाक के भी सभी शिक्षक
सामूहिक अवकाश लेकर आंदोलन कर रहे है।
अतिथि विद्वानों का आरोप...
अतिथि
विद्वानों का कहना था कि वह कॉलेज में लगभग 20:20 वर्षों से पढ़ा रहे हैं
जुलाई में होने वाली भर्ती सितंबर 2 अक्टूबर माह तक चलती है इस प्रकार साल
में करीब 6 से 7 महीने काम करते हैं।
उस पर भी वेतन के नाम पर उन्हें 8:00 से ₹10000 मिलते हैं वह भी 2 से 3
महीने में या कई बार 6 महीने बाद ही मिलते हैं ऐसे में उन्हें आर्थिक
परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वही लोक सेवा आयोग द्वारा जो भर्ती निकाली गई है उसमें सामान्य वर्ग या
स्पोर्ट्स के पद ही नहीं है ज्यादातर सभी भर्तियां SC ST के कोठे की हैं।
ऐसे में जो सामान्य वर्ग के अतिथि विद्वान हैं उन्हें अतिथि विद्वानों का
कहना था कि सरकार को नई भर्ती निकालने की बजाय कॉलेजों में जो पहले से ही
अतिथि विद्वान पढ़ाते आ रहे हैं उन्हें या तो संविदा पर रखा जाए या फिर
नियमित किया जाए। संघ के प्रदेश अध्यक्ष देवराज का कहना था कि यदि उनकी
मांगों का निराकरण नहीं हुआ तो 20 फरवरी को ग्वालियर में प्रदर्शन किया
जाएगा।