भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
चौहान ने अध्यापक संवर्ग के शिक्षा विभाग में संविलियन की भले ही घोषणा कर
दी हो, लेकिन आदिम जाति कल्याण विभाग के 1.25 लाख अध्यापकों के लिए राह
आसान नहीं है। ये अध्यापक अभी प्रदेश के 11 जिलों के 89 ब्लॉक में पदस्थ
हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि तय मापदंडों और प्रक्रिया के लिहाज से सभी
अध्यापकों का कैडर तो एक हो सकता है, लेकिन विभाग एक हो ही नहीं सकता।
अध्यापक नेताओं को पता है
घोषणा से पहले 14 दिसंबर को अध्यापकों के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ
हुई बैठक में इस बारे में बातचीत हो चुकी थी। अभी प्रदेश में कुल 2.84 लाख
अध्यापक कार्यरत हैं। अभी ये चार विभागों के अधीन हैं। इनकी नियुक्ति
पंचायत एवं ग्रामीण विकास और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग करता है। स्कूल
शिक्षा विभाग इनके लिए नियम बनाता है और वेतन की व्यवस्था करता है। चौथा
विभाग आदिम जाति कल्याण विभाग है। इसके दायरे के 1.25 लाख अध्यापकों की
पोस्टिंग और तबादलों पर इसी विभाग का नियंत्रण है।
कैसे होगा संविलियन
एक्सपर्ट कहते हैं सबसे पहले कैबिनेट में संविलियन के बारे में प्रस्ताव
लाना होगा। तत्कालीन दिग्विजय सिंह की सरकार ने 73 व 74वें संशोधन के जरिए
स्कूल शिक्षा विभाग, पंचायत एवं नगरीय प्रशासन विभाग को हस्तांतरित कर दिए
थे। इन्हें स्कूल शिक्षा विभाग में लाने के लिए फिर ऐसा ही संशोधन करना
होगा। फिर इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। विधानसभा से विधेयक पारित
होने के बाद गजट नोटिफिकेशन होगा। तब जाकर संविलियन का आदेश जारी होगा।
यानी सब कुछ ठीक रहा तो भी कम से कम आठ माह का वक्त पूरी प्रक्रिया में लग
जाएगा।
डाइंग कैडर को फिर से जीवित करना होगा
पंचायती राज व्यवस्था के तहत 1994 में सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता
के पदों को डाइंग कैडर में डालकर खत्म कर दिया गया था। इन पदों की जगह
शिक्षाकर्मी वर्ग-3, वर्ग-2 और वर्ग-1 बना दिए थे। 2001 में इन पदों की जगह
संविदा शिक्षक वर्ग-3, वर्ग-2 और वर्ग-1 नाम देकर मानदेय पर नियुक्ति दी
गई थी। 2007 में इनको मिलाकर अध्यापक संवर्ग बना दिया। व्यवस्था को सही
करने के लिए डाइंग कैडर को फिर से जीवित करना होगा।