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यहां उड़ रहा नियमों का मखौल, 62 के बजाय 60 की उम्र में ही बैठा दिया घर

सबको पढऩे की नसीहत देने वाले शिक्षा विभाग का गणित इन दिनों गड़बड़ा गया है। जिन शिक्षकों को 62 साल तक पढ़ाने की पात्रता है, उन्हें 60 की उम्र में ही हार-फूल पहनाकर घर बैठाया जा रहा है। कोर्ट ने भी उनके हक में फैसला दे दिया, लेकिन विभाग के अफसर हैं कि न नियम को मान रहे, न कोर्ट के आदेश को।

दरअसल, शिक्षा विभाग में उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर संविलियन किए गए थे और उन सभी की सेवाएं शिक्षा विभाग ने निरंतर कर दी थी। शिक्षकों को इस श्रेणी के मुताबिक ही वेतन व अन्य सुविधाएं भी मिलीं, लेकिन नियम के विपरीत इन सभी का ६० वर्ष की उम्र में ही रिटायरमेंट किया जा रहा है। अब तक कई शिक्षक इस आदेश के कारण उम्र पूरी होने के पहले ही रिटायर हो गए हैं।

दो साल पहले ही कर दिया रिटायर्ड
कनाडिय़ा के हायर सेकंडरी स्कूल में सेवाएं दे रहे एमपी तिवारी के मुताबिक, ३१ मई २०१६ को ६० वर्ष की उम्र में ही शिक्षा विभाग ने रिटायरमेंट दे दिया, जबकि मेरा रिटायरमेंट ३१ मई २०१८ को होना था। सुप्रीम कोर्ट ने २ नवंबर २०१६ को ६२ की उम्र तक काम करने की पात्रता का आदेश जारी किया। इससे जुड़े दस्तावेज ७ नवंबर को ही शिक्षा विभाग के अफसरों और प्रिंसिपल महेश गांधी को दे दिए, फिर भी मेरा नाम रजिस्टर में नहीं लिखा जा रहा।

रोज स्कूल जाकर पढ़ा रहे बच्चों को
पूरे मप्र में करीब ६०० ऐसे शिक्षक हैं, जिनको असमय विभाग घर भेज रहा है। इंदौर में चार और उज्जैन में तीन शिक्षक इससे प्रभावित हुए हैं। इन ६०० में से करीब ६० शिक्षकों को अब तक रिटायरमेंट दिया जा चुका है। तिवारी के मुताबिक, विजय दुकारिया गवली पलासिया हायर सेकंडरी स्कूल में पढ़ाते थे। उनके अलावा दो और शिक्षकों को समय से पहले सेवानिवृत्त कर दिया। विभाग की कार्रवाई होने के बावजूद मैं रोज स्कूल जाता हूं और बच्चों को पढ़ाता हूं।


अफसरों को भोपाल से आदेश का इंतजार
कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में शिक्षकों के ६२ वर्ष की उम्र तक काम करने की पात्रता में रजामंदी जताई थी। इसके बाद भी शिक्षा विभाग पर इसका असर नहीं हुआ। इधर, डीईओ सुधीर कौशल का कहना है कि प्रौढ़ शिक्षा केंद्र से संबद्ध होने के कारण इन्हें 60 की उम्र में सेवानिवृत्त कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश के संबंध में भोपाल मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा है।

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